Science, asked by chauhanchestha5776, 1 year ago

जीवाश्म निर्माण प्रक्रिया समझाइए।

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Answered by Anonymous
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जीवाश्म ईंधन

जीवाश्म ईंधन हाइड्रोकार्बन, मुख्य रूप से कोयला, ईंधन तेल या प्राकृतिक गैस हैं, जो मृत पौधों और जानवरों के अवशेषों से बनते हैं।

आम बातचीत में, जीवाश्म ईंधन शब्द में हाइड्रोकार्बन युक्त प्राकृतिक संसाधन भी शामिल हैं जो जानवरों या पौधों के स्रोतों से प्राप्त नहीं होते हैं।

इन्हें कभी-कभी खनिज ईंधन के रूप में जाना जाता है।

जीवाश्म ईंधन के उपयोग ने बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास और बड़े पैमाने पर पानी से चलने वाली मिलों, साथ ही गर्मी के लिए लकड़ी या पीट के दहन को सक्षम किया है।

जीवाश्म ईंधन कार्बनिक पदार्थों के दफन दहनशील भूगर्भिक भंडार के लिए एक सामान्य शब्द है, जो कि क्षयग्रस्त पौधों और जानवरों से बनता है, जो पृथ्वी की पपड़ी में सैकड़ों से अधिक ताप और दबाव के संपर्क में आने से कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस या भारी तेलों में परिवर्तित हो गए हैं। लाखों साल।

मनुष्यों द्वारा जीवाश्म ईंधन को जलाना कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है, जो कि ग्रीनहाउस गैसों में से एक है जो विकिरण की अनुमति देता है और ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है।

हाइड्रोकार्बन आधारित ईंधन का एक छोटा सा हिस्सा वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड से व्युत्पन्न जैव ईंधन हैं, और इस प्रकार वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की शुद्ध मात्रा में वृद्धि नहीं होती है।

सवाल के लिए धन्यवाद।

आशा है कि यह आपकी मदद करता है।

Answered by 8thgraderNithya
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Answer:

pruthvi  पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं। जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेपों में केवल सरलतम जीवों के अवशेष उपस्थित हैं किन्तु अभिनव निक्षेपों में क्रमशः अधिक जटिल जीवों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ज्यों-ज्यों हम प्राचीन से नूतन कालों का अध्ययन करते हैं, जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। अनेक मध्यवर्ती लक्षणों वाले जीव बताते हैं कि सरल रचना वाले जीवों से जटिल रचना वाले जीवों का विकास हुआ है। अधिकांश जीवाश्म अभिलेखपूर्ण नहीं है परन्तु घोड़ा, ऊँट, हाथी, मनुष्य आदि के जीवाश्मों की लगभग पूरी श्रृंखलाओं का पता लगाया जा चुका है जिससे कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण प्राप्त होते हैं।

जीवाश्म को अंग्रेजी में फ़ॉसिल कहते हैं। इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द "फ़ॉसिलस" से है, जिसका अर्थ "खोदकर प्राप्त की गई वस्तु" होता है। सामान्य: जीवाश्म शब्द से अतीत काल के भौमिकीय युगों के उन जैव अवशेषों से तात्पर्य है जो भूपर्पटी के अवसादी शैलों में पाए जाते हैं। ये जीवाश्म यह बतलाते हैं कि वे जैव उद्गम के हैं तथा अपने में जैविक प्रमाण रखते हैं।

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