Hindi, asked by Nithyashree2516, 4 months ago

'जिवै तो बौरा होइ' का आशय क्या है ?​

Answers

Answered by alijansaifikadri
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Answer:

बिरह भुवंगम तन बसै , मंत्र न लागै कोइ।

राम बियोगी ना जिवै ,जिवै तो बौरा होइ।।

बिरह - बिछड़ने का गम

भुवंगम -भुजंग , सांप

बौरा - पागल

प्रसंग -: प्रस्तुत साखी हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक 'स्पर्श ' से ली गयी है। इस साखी के कवि कबीरदास जी हैं। इसमें कबीर कहते हैं कि ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और अगर रह भी जाता है तो वह पागल हो जाता है।

व्याख्या -: कबीरदास जी कहते हैं कि जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है तो उस पर न कोई मन्त्र असर करता है और न ही कोई दवा असर करती है। उसी तरह राम अर्थात ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है।

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