जैव उवर्रक किस प्रकार से मृदा की उवर्रता को बढ़ाते हैं?
Answers
जैव उवर्रक निम्न प्रकार से मृदा की उवर्रता को बढ़ाते हैं :
जैव उवर्रक सूक्ष्म जीव होते हैं जो मृदा की उत्पादन शक्ति बढ़ाते हैं तथा फसल को अकार्बनिक पोषक पदार्थ उपलब्ध कराते हैं।
यह तीन प्रकार के होते हैं -
(1) नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु व सायनोजीवाणु :
ये स्वतंत्रजीवी व सहजीवी सूक्ष्मजीवी होते हैं, जो मृदीय वायुमंडल से स्वतंत्र नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं तथा इसे नाइट्रोजन के लवणों में बदल देती है । स्थिरीकृत नाइट्रोजन का एक भाग दूसरे को तुरंत उपलब्ध हो जाता है, जबकि शेष भाग उनकी मृत्यु के बाद उपलब्ध हो जाता है।
(2) फास्फेट जीवाणु :
यह पौधों द्वारा अवशोषण के लिए अघुलनशील मृदीय फाॅस्फेट को घोलने के लिए फाॅस्फेटेज स्रावित करते हैं।
(3) माइकोराइजा :
यह अधिकांश वनीय पौधों में होता है। यह कार्बनिक पदार्थ से पोषक पदार्थों के अवशोषण व घोलने में भाग लेता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाओ तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श करें।
(क) एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी)
(ख) मृदा
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निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्त्व के अनुसार संयोजित करें; महत्त्वपूर्ण पदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तर लिखें।
बायोगैस, सिट्रिक एसिड, पैनीसिलिन तथा दही
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Answer:
विलयकारी जैविक उर्वरक (फास्फो-बैक्टीरिया) : कुछ जीवाणु तथा कवक मृदा में उपस्थित अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाकर फसलों में इसकी उपलब्धता को बढ़ाते हैं। इन्हें फास्फोरस विलयकारी जैविक उर्वरक कहते हैं।