जो व्यक्ति समाज में नहीं रहते वे या तो देवता होते हैं या जंगली जानवर।"" यह कथन किसका है?
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“जो व्यक्ति समाज में नहीं रहते वे या तो देवता होते हैं या जंगली जानवर” यह कथन यूनान (एथेंस) के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु से संबंधित है।
Explanation:
अरस्तु यूनान (एथेंस) के एक प्रसिद्ध दार्शनिक थे। उनका जन्म 384 ईस्वी पूर्व से 322 ईस्वी पूर्व के बीच हुआ था। अरस्तु यूनान के ही एक अन्य प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो के शिष्य थे। वह पश्चिमी दर्शन के तीन विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात, प्लेटो और अरस्तु की तिकड़ी में से एक थे। सुकरात के शिष्य प्लेटो और प्लेटो के शिष्य अरस्तु थे।
अरस्तु ने राज्य की उत्पत्ति के संबंध में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था। अरस्तु के अनुसार मनुष्य को स्वाभाविक रूप से सामाजिक सामाजिक प्राणी माना जाता है और यदि मनुष्य समाज से बाहर रहता है तो वह या तो देवता है अथवा जानवर।
समाज की उत्पत्ति मनुष्य के लिए ही हुई है और समाज और मनुष्य दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।