जीवन की अभिव्यक्ति (10 lines )
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एक चालाक शातिर आदमी की कहानी में मैंने सुना है,
आज चरितार्थ देख भी रहा हूँ
.
चार आदमियों ने दिन स्वादिष्ट खीर बनाई.
और एक शर्त तय की .
कोई जो सबसे अच्छा स्वप्न देखेगा.
वह अगर खा सकता है,
सारी खीर यानि भरपेट खायेगा,
.
गर बची तो बाकी तीन,
कहानी लंबी न हो इसलिये बता देता हूँ
उस चालाक शातिर आदमी की कहानी
.
वह स्वप्न देखता है कि वह करीब ढ़ाई ,
तीन बजे उठा और सारी खीर खा गया,
.
अतः इस समाज और देश को थोड़ा सीखने तथा जागने की जरूरत है कि
नाम स्वप्न का हो और वह व्यक्ति अपना काम कर जाये सिर्फ़ इसलिये की
.
उसे बेहतरीन स्वप्न देखने की आदत है
ऐसा कुछ नहीं आपको
मजदूरी करके ही खाना है,
.
मेरे द्वारा लिखित पुस्तक
“जीवन एक अभिव्यक्ति”
कि पहली कविता
“मजदूर की व्यथा” के कुछ शॉट
Answer:
मानव जीवन का असली लक्ष्य है "अपना सत्य'' ढूँढ़ना जो शरीर, मन, बुद्धि के परे है। ...जो अपना होना, चेतना (Consciousness) की पहचान है, जो असली "मैं' है...जो असीम है, जो व्यक्तिगत अहंकार से परे है। वह ब्रह्माण्डीय यानी अव्यक्तिगत मैं' (Universal ''I'') है, जहॉं सभी के "एक' होने (एकात्मता और समग्रता ) का अनुभव है। असली अनुभव, जो शरीर और मन के परे का अनुभव है, उसका सिर्फ संकेत किया जा सकता है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। कहानियॉं केवल संकेत देती हैं।
वैसे तो हर महापुरुष का पूर्ण जीवन जानने और मनन करने योग्य है परंतु इस पुस्तक में कुछ महापुरुषों के जीवन से जुड़ी एक-एक घटना का समावेश किया गया है। ये घटनाएँ हमें कुछ न कुछ ऐसा सीखाकर जाएँगी, जिसकी जरूरत हमें आज है, अभी है और आपके हाथ में है।