Hindi, asked by ashadevia403, 7 hours ago

जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए आगे बढ़ने वाली किन्हीं पाचँ महिलाओं के चित्र चिपकाकर उनकी संघषृगाथा लिखिए। ​

Answers

Answered by sarishti13052
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Answer:

इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने समय-समय पर अपनी बहादुरी और साहस का प्रयोग कर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चली हैं। आज हम अपनी खबर में ऐसी ही महिलाओं के शौर्य और वीरता की बात करेंगे जिन्होंने क्रांतिकारी गातिविधियों में अपना योगदान निडर होके दिया और कुछ ऐसी भी वीरांगनाएँ जिन्होंने असंभव प्रयास करते हुए किसी भी युग में न भूलने वाला काम किया और अमर हो गयी।

रानी लक्ष्मीबाई (19 नवंबर - 17 जून 1858)

Answered by krishna210398
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Answer:

जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए आगे बढ़ने वाली किन्हीं पाचँ महिलाओं के चित्र चिपकाकर उनकी संघषृगाथा लिखिए। ​

Explanation:

जिंदगी में धूप - छाँव के सिद्धांत को मानने वाले फूलों के साथ काँटों की मौजूदगी की - शिकायत नहीं करते। यहु संभव नहीं कि बिना अड्चन और चुनौतियों दैनिक कार्य या विशेष कार्य संपन्न होते चले जाएँ। जो इन अप्रिय, अप्रत्याशित घटनाओं से जूझने के लिए स्वयं को तैयार नहीं रखेंगे उनके लिए जीवन अभिशाप बन जाएगा। वे पग-पग पर चिंतित और दुखी रहेंगे और संघर्षों के उपरांत मिलने वाले आनंद से वे वंचित रह जाएँगे। मुश्किल परिस्थितियों में संयत, धीर व्यक्ति भी विचलित हो सकता है। सन्मार्ग पर चलने वाले की राह में कम बाधाएँ नहीं आतीं।

हम जीवित हैं तो कठिनाइयाँ, चुनौतियाँ आएँगी ही। किंतु स्मरण रहे, कठिनाइयों और बाधाओं का प्रयोजन हमें तोड़ना - गिराना नहीं बल्कि ये हमें सुदृढ़ करने के माध्यम हैं। बाधाओं का सकारात्मक पक्षं यह है कि कठिनाइयों से निबटने में उन कौशलों और जानकारियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो सामान्य अवस्था में सुषुप्त, निष्क्रिय पड़ी रहती हैं और दुष्कर परिस्थितियों से जूझने पर ही सक्रिय स्थिति में आती हैं । सुधी जन को यह पता होता है। अमेरिकी रंगकर्मी और पत्रकार विल रोजर्स ने कहा, 'कठिनाई से उबरने का मार्ग इसी के बीच मिल जाता है।' समस्याओं से नहीं जूझेंगे तो ये विशिष्ट कौशल स्थायी रूप से क्षीण हो जाएंगे तथा व्यक्ति समग्र तौर पर जीने में अक्षम हो जाएगा।

हो सकता है कोई व्यक्ति एक तख्त पर सोते हुए कष्ट महसूस करे जबकि दूसरा व्यक्ति उसी तत को आरामदायक महसूस करे। मगर यह असमानता आरंभिक स्तर की है। आंतरिक या मूलगत भाव से एक व्यक्ति की दूसरे से कोई भी भिन्नता नहीं है। जिसका मन जितने विस्तृत क्षेत्र के विषयों की ओर भागता है उसके लिए मन को एकाग्र करना उतना ही मुश्किल होता है। लेकिन एक व्यक्ति के मन को आकर्षित करने वाली वस्तुएँ किसी अन्य मनुष्य को मानसिक स्तर पर प्रभावित कर सकती हैं और ऐसे ही किसी अन्य व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में मददगार भी साबित हो सकती हैं । इसी बिंदु पर यह बात समझने की है कि दूसरे के प्रति अपनी पवित्र या शुभ भावना के द्वारा हम अ व्यक्तियों की मानस तरंगों में परिवर्तन कर सकते हैं।

जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए आगे बढ़ने वाली किन्हीं पाचँ महिलाओं के चित्र चिपकाकर उनकी संघषृगाथा लिखिए। ​

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जीवन की कठिनाइयों से जूझने हुए आगे बढ़ने वाली किन्हीं पांच महिलाओं के चित्र चिपकाकर की संघर्ष गाथा ल​

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