Hindi, asked by sj423728, 5 months ago

जीवन के परोपकार के महत्व पर कम से कम 100 शब्द का अनुच्छेद लिखिए​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

परोपकार शब्द का अर्थ है दूसरों का भला करना। अपनी चिन्ता किए बिना, शेष सभी (सामान्य-विशेष) के भले की बात सोचना, आवश्यकतानुसार तथा यथाशक्ति उनकी भलाई के उपाय करना ही परोपकार कहलाता है। परोपकार के लिए मनुष्य को कुछ-न-कुछ त्याग करना पड़ता है।

परोपकार की यह शिक्षा हमें प्रकृति से मिली है। प्रकृति के प्रत्येक कार्य में हमें सदैव परोपकार की भावना निहित दिखाई पड़ती है। नदियां अपना जल स्वयं न पीकर दूसरों की प्यास बुझाती हैं, वृक्ष अपने फलों को दूसरों के लिए अर्पण करते हैं, बादल पानी बरसा कर धरती की प्यास बुझाते हैं। गऊएं अपना दूध दूसरों में बांटती हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा भी अपने प्रकाश को दूसरों में बांट देते हैं। इसी प्रकार सज्जनों का जीवन परोपकार में ही लगा रहता है।

यदि हम अपने प्राचीन इतिहास पर दृष्टिपात करें तो हमें अनेक ऐसे उदाहरण मिलेंगे जिनसे ज्ञात होता है कि किस तरह यहां के लोगों ने परोपकार के लिए अपनी धन-सम्पत्ति तो क्या अपने घर-द्वार, राजपाट और आवश्यकता पड़ने पर अपने शरीर तक अर्पित कर दिए। महर्षि दधीचि के उस अवदान को कैसे भुला सकते हैं जिन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए अपने प्राण सहर्ष ही न्यौछावर कर दिए थे अर्थात् उनकी हड्डियों से वज्र बनाया गया जिससे वृत्रासुर राक्षस का वध हुआ। राजा शिवि भी ऐसे ही परोपकारी हुए हैं, उन्होंने कबूतर के प्राणों की रक्षा के लिए भूखे बाज को अपने शरीर का मांस काट-काट कर दे दिया था।

हम भी छोटे-छोटे कार्य करके अनेक प्रकार परोपकार कर सकते हैं। भूखे को रोटी खिलाकर, भूले-भटके को राह बतला कर, अशिक्षितों को शिक्षा देकर, अन्धे व्यक्ति को सड़क पार करा कर, प्यासे को पानी पिला कर, अबलाओं तथा कमजोरों की रक्षा करके तथा धर्मशालाए आदि बनवाकर परोपकार किया जा सकता है।

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