जीवन के साधक को प्रेरणा दी गयी है की वह
जो कुछ मिले उसमें संतुष्ट हो जाए
परिश्रम करें।
आसानी से प्राप्ति की धुन छोडकर श्रम और संघर्ष का मार्ग अपनाए
अपने सीमित परिवेश में जीवन यापन करें।
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जी हां आप बिलकुल सही कह रहे हैं
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