Hindi, asked by gourharshit001, 6 months ago

जीवन की सच्ची प्रगति स्वावलम्बन के द्वारा ही संभव है। यदि हमार मन में अपना कार्य करने का उत्साह
(अपठित-अश)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पड़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
नहीं है, अपने ऊपर विश्वास नहीं है, आलस्य ने हमारी कार्य-शक्ति को पंगु बना दिया है तो फिर कैसे से
जीवन के कार्य पूरे हो सकेंगे? ऐसी स्थिति में हम अपने आपको किसी भी कार्य को करने में असमर्थ पाएं
समाज, राष्ट्र और संसार के लिए तो हम कर ही व्या सकेंगे स्वयं अपने लिए भी भारस्वरूप हो जाएंगे।
बात विचारणीय है कि संसार में जो इतने महान कार्य हुए हैं. क्या उनके पीछे स्वावलम्बन की सुदृढ़ शनि
नहीं थी? यदि परावलम्बी पुरुषों की भाँति सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते, अकर्मण्यता, आलस्य और दूसरों
के सहारे जीने की भावना लिए रहते तो मानव समाज की इतनी प्रगति क्या संभव थी? इसीलिए तो संसार के
सभी महापुरुष स्वावलंबन के पुजारी थे। अपने हाथों से ही उन्होंने अपने महान् जीवन का द्वार खोला था
अब्राहम लिंकन, महात्मा गाँधी, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर आदि महापुरुषों से कौन अपरिचित है? उन्होंने
स्वावलम्बन के अमृत को पीकर ही अमरता प्राप्त की थी। इसी कारण वे आज मर कर भी जीवित हैं।
(क) व्यक्ति समाज के लिए भार कब बन जाता है?
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(ख) समाज की प्रगति किन बातों पर निर्भर करती है?
(ग) महापुरुषों ने किस प्रकार अपने जीवन को सफल बनाया?
(घ) किन महापुरुषों ने किससे अमरता प्राप्त की थी?
(ड) महान् कार्यों में किसकी सुदृढ़ शक्ति निहित है?
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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Answers

Answered by choudharymeghraj31
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Sara choudhary Sara sara

Answered by kaushanimisra97
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Answer: निम्नलिखित गद्यांश के ऊतर नीचे दिए है -

Explanation: क) व्यक्ति समाज के लिए भार कब बन जाता है?

  • व्यक्ति समाज के लिए भार जब बन जाता है जब वे आलस्य के चलते अपनी कार्य शक्ति को पंगु बना देता है, जब व्यक्ति को अपने आप से ही विश्वास उठ जाता है तो समाज भी उसपे विश्वास नही करता, जब व्यक्ति अपने ही कार्य पूरे करने में असमर्थ हो जाता है तो समाज भी उसे भार की तरह देखने लगता है |

ख) समाज की प्रगति किन बातों पर निर्भर करती है?

  • समाज मांगता है की व्यक्ति को हाथ पर हाथ रख के नही बैठना चाहिए, उसे अपना कार्य करके समाज के हित में भी सोचना चाहिए जभी वे महान केहला सकेगा नही तो समाज पर बोझ बना रहेगा। अंत महान लोगो ने इतिहास मे स्वावलंबन को अपना साथी बनाया था ओर उसके अमृत को पीके महानता के लिए अपना नाम अमर करवाया जिस से हमे सिख लेनी चाहिए|

(ग) महापुरुषों ने किस प्रकार अपने जीवन को सफल बनाया?

  • महापुरषों ने स्वावलंबन का हाथ थाम के अपने जीवन को सफल बनाया|

घ) किन महापुरुषों ने किससे अमरता प्राप्त की थी?

  • अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी , ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे महान व्यक्तियो ने स्वावलंबन के अमृत को पीकर अमरता प्राप्त की थी|

ड) महान् कार्यों में किसकी सुदृढ़ शक्ति निहित है?

  • महान कार्यों में स्वावलंबन की सुदृढ़ शक्ति निहित है|

(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

  • इस गद्यांश का शीर्षक हो सकता हैं - स्वावलम्बन का महत्व या जीवन में प्रगति का रास्ता|

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