Hindi, asked by rathodmiloni206, 7 months ago

जीवन की समस्या को किसने ठीक समझा था​

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Answered by anandachandra1980
5

Answer:

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि-

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि-

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि- हर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि- हर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,जो मंजिल पर पहुंच जाए उसे 'इंसान' कहते हैं।

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि- हर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,जो मंजिल पर पहुंच जाए उसे 'इंसान' कहते हैं।

हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि- हर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,जो मंजिल पर पहुंच जाए उसे 'इंसान' कहते हैं। प्रख्यात लेखक फ्रेंकलिन ने सही ही कहा था- 'जो बात हमें पीड़ा पहुंचाती है, वही हमें सिखाती भी है।' और इसलिए समझदार लोग समस्याओं से डरते नहीं, उनसे दूर नहीं भागते।

hope its help

Answered by mr7336234
0

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ok thanks for ask questions

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