जीवन में हास्य-विनोदी परमावश्यक क्यों है ?
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simple is important for life
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मानव की प्रकृतिप्रदत्त विभूतियों में एक बड़ी ही मोहक विभूति है-हास्य-विनोद । जिंदगी केवल कराहों का सिलसिला, आहों का जलजला और दर्द की दास्तान बनकर रह जाए, यदि उसमें हास्य-विनोद न हो। हास्य लाख दुःखों की एक दवा है, स्वास्थ्य का एक अनोखा मंत्र है। चिंताओं के पुलिंदे को थोड़ी देर के लिए अलग करने में हास्य और विनोद बड़े ही सहायक हैं। कविता केवल हृदय का उद्गार है, विनोद रोम-रोम का उद्गार है। विनोद एक प्रकार की पृष्टई है, जिससे शरीर और मस्तिष्क को नई शक्ति मिलती है, स्रस्त-त्रस्त शिराओं में मकरध्वज की ऊष्मा आ जाती है। गाँधीजी ने कहा है कि यदि मुझमें विनोद का भाव न होता, तो मैंने बहुत पहले ही आत्महत्या कर ली होती। संतों ने ठीक ही कहा है कि यदि दुःख में सुख की अनुभूति चाहते हो, तो हँसमुख बनो।
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