जीवन में हास्य ववनोद का महत्व?
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राष्ट्रपिता गांधी जी ने कहा था कि यदि मुझमें विनोद का भाव न होता तो मैंने बहुत पहले ही आत्महत्या कर ली होती। वह मानव बड़ा ही भाग्यशाली है जिसे विधाता से हास्य और विनोद का बहुमूल्य वरदान मिला है। तमाम रसों में हास्य रस सबसे सरस एवं सरल है। यह मानव जीवन की आवश्यकता है।
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