जीवन में किसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़े तो आप क्या करेंगे लिखे |
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प्रकृति में बाढ़, सूखा, भूकम्प, सुनामी जैसी आकस्मिक आपदा समय-समय पर आती ही रहती हैं और इनके कारण जीवन और सम्पत्ति की बहुत हानि होती है। अतः यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने और जहाँ तक सम्भव हो इन आपदाओं को कम से कम करने के उपाय और साधन खोजे जाएँ।
मानव गतिविधियाँ जैसे आग, दुर्घटना, महामारी आदि द्वारा होने वाली आपदा विनाशकारी प्राकृतिक विपत्तियों की तरह ही आकस्मिक होती हैं और उन्हीं के समान विनाशकारी भी। इस पाठ में आप प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही मानव निर्मित आपदाओं के भी कारण, प्रभाव, रोकथाम और प्रबन्धन के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात, आपः
- प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन कैसे बनाये रखते हैं का वर्णन कर पायेंगे;
- मानव निर्मित और प्राकृतिक आपदाओं को वर्गीकृत कर सकेंगे;
- बाढ़, तूफान (चक्रवात) सूखे (जल और जलवायु सम्बन्धी आपदाओं) के कारण, प्रभाव और प्रबन्धन का वर्णन कर पायेंगे;
- भूकम्प (भूविज्ञान सम्बन्धी आपदा) के कारण, प्रभाव और प्रबन्धन को वर्णित कर पायेंगे;
- जंगल की आग, तेल रिसाव जैसी दुर्घटनाओं से सम्बन्धित आपदाओं से लेकर औद्योगिक दुर्घटनाओं के कारण, प्रभाव और प्रबन्धन का वर्णन कर पायेंगे;
- जैव सम्बन्धी आपदाओं (महामारियों जैसे डेंगू, एचआइवी (HIV) और पशु महामारी) के कारण, प्रभाव और प्रबन्धन का वर्णन कर पायेंगे;
- आपदा प्रबन्धन में सरकार और समुदाय (समाज) की भूमिका का वर्णन कर पायेंगे।