History, asked by surendra2020tiwari, 4 months ago

जीवन में क्या करना है, यह रामायण सिखाती है, जीवन में क्या नहीं करना है यह महाभारत सिखाती है, और जीवन कैसे जीना है, यह भगवद्गीता सिखाती है"| ​

Answers

Answered by punamgaikwad4079
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Answer:

jivan me kaise jina hai ye sirf apape depend karta hai nahi Kisi granth pe life sirf Apne tarikaise jio naki Kisi ke bolne se

Answered by shilpa85475
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  • गुरु के बिना ईश्वर तक पहुंचना संभव नहीं है। जीवन में अभ्यासी बनाना चाहिए। अभ्यासी हमारे जीवन का साथी है। जीवन में हमेशा खुश रहना चाहिए।
  • आपने एक नश्वर शरीर में प्रवेश किया है। कुछ दिक्कतें जरूर आएंगी। लेकिन नियमित रूप से भागवत कथा का पाठ करने से इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
  • बस जरूरत है इसे अपने जीवन में उतारने की। धर्मपाल महाराज ने मुख्य प्रार्थना में चल रहे धर्म ज्ञान सत्संग झांकी में आयोजित पुरुषोत्तम मास कथा में यह बात कही।
  • उन्होंने कहा कि इन चारों पाठ्यपुस्तकों का सार जीवन है। रामायण हमें जीना सिखाती है, महाभारत हमें जीना सिखाती है।
  • गीता हमें कर्म करना सिखाती है और भागवतम हमें मरना सिखाता है।
  • जीवन में कर्मठता, चरित्र में पारभासी, परिवार में प्रेम और संबंधों में पवित्रता हमेशा बनाए रखें। इस अवसर पर कमला देवी, प्रमोद शर्मा, कृष्णा शर्मा, सुमन गोयल, विनीत गर्ग और ओमप्रकाश उपस्थित थे।
  • पानीपत। अग्रवाल धर्मशाला, गुरमंडी में बत्ती जलाते हुए आयोग के सदस्य।
  • खुशी एक एहसास है जिसे हर कोई ढूंढ रहा है पं राधे
  • पानीपत| शनिवार को गुर मंडी स्थित अग्रवाल धर्मशाला में भागवत कथा का आयोजन किया गया। फाइबर पं. राधे- राधे। 208 महिलाओं ने निकाली मंगल कलश यात्रा वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर एसडीवीएम के अध्यक्ष सतीश चंद्रा मौजूद रहे।
  • कथा के दौरान पं. राधे- राधे ने कहा कि जीवन में खुश रहना ही सुख का एकमात्र उपाय है।
  • खुशी एक ऐसा एहसास है जिसकी तलाश हर कोई करता है। काम छोटा हो या बड़ा, उसी में खुश रहना चाहिए।
  • सपनों का आसमान हर किसी के लिए अलग हो सकता है, लेकिन हर किसी का अंत सुख और शांति को पाना होता है। भागवत कथा जीवन में अमृत औषधि है।
  • भागवत भजन का जाप करने से व्यक्ति न केवल स्वर-विश्वासी बनता है, बल्कि दूसरों में भी आत्मविश्वास पैदा करता है।
  • मंत्र| बेवजह अच्छे बनो, इससे बहुत लोग आते हैं
  • नेक कर्म करने में धर्म नहीं दिखना चाहिए दाताराम

पानीपत।

  • फिर भी समझ लो उस पल का जीवन व्यर्थ है, अगर इंसान एक दिन में एक भी नेक काम नहीं कर सकता।
  • जिस दिन आप नेक काम करके घर जाएंगे, उस दिन आपको चैन की नींद आएगी।
  • धर्म को नेक कामों में नहीं देखना चाहिए। नश्वर प्राणी, चाहे वह कोई भी धर्म हो, समय पर मदद की जानी चाहिए।
  • यह जानकारी फाइबर दाताराम महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के पांचवें दिन पुरुषोत्तम मास के अवसर पर न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सेक्टर-12 में चल रही है।
  • उन्होंने कहा कि मानवता ही मनुष्य का प्रथम धर्म है। उसके बाद ही गीता और कुरान का धंधा खुलता है। मनुष्य को अनावश्यक रूप से अच्छा होना चाहिए। इस वजह से बहुत से लोग अच्छे बनते चले जाते हैं।
  • नश्वर प्राणी इतने मतलबी आए हैं कि वे वास्तव में बिना किसी अर्थ के भगवान को पीछे नहीं हटाते हैं।
  • वास्तव में, यह कलियुग का काल है। हालाँकि, सब कुछ व्यर्थ है, यदि कोई व्यक्ति 10 अच्छे कर्म करता है और एक पाप करता है।
  • कलियुग में नेक कर्म करने चाहिए। सतीश बंसल, डाॅ. राधेश्याम बिंदल, लेखराज जटाना, रमन सोढ़ी, बांके लाल बृजवासी, जयपाल शर्मा, अशोक रावल, विनोद सोढ़ी, विजयलक्ष्मी, लवली गुप्ता, राजीव, रिंकू शर्मा, रवि अरोड़ा, प्रीतम लाल ढींगरा, गगन, नानक चंद, प्रेम चंद बत्रा, ओमप्रकाश छाबड़ा , जोगिंदर ठकराल आदि उपस्थित थे |

#SPJ3

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