जीवन मे खेल खूद का महत्व (अनुच्छेद ) 90 to 100 words
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”पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होओगे खराब”- यह कहावत आज निराधार हो गई है । माता-पिता आज जान गए है कि बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी होना चाहिए ।
व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन तन और मन रूपी गाड़ी से चलता है । व्यायाम, खेल शारीरिक विकास करते हैं तथा शिक्षा, चिन्तन-मनन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है । खेल के अनेक रूप हैं- कुछ खेल बच्चों के लिए होते हैं, कुछ बड़ों के लिए, कुछ बड़ों के लिए, कुछ वृद्धों के लिए होते हैं । कुछ खेलों को खेलने के लिए विशाल मैदानों की आवश्यकता नहीं होती ।
लेकिन उन में मनोरंजन और बौद्धिक विकास अवश्य होते हैं जैसे- कैरम बोर्ड, शतरंज, सांप-सीढ़ी, लुडो, ताश आदि । ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है ।’ जो बच्चे केवल पढ़ना ही पसन्द करते हैं खेलना नहीं, देखा जाता है कि वे चिड़चिड़े आलसी या डरपोक हो जाते हैं, यहां तक कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं ।
जो पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेते हैं वे चुस्त और आलस्य रहित होते हैं । उनकी हड्डियां मजबूत और चेहरा कान्तिमय हो जाता है, पाचन-शक्ति ठीक रहती है, नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है, शरीर वज्र की तरह हो जाता है । छात्र जीवन में केवल खेलते या पढ़ते ही नहीं रहना चाहिए अपितु उद्देश्य होना चाहिए खेलने के समय खेलना और पढ़ने के समय पढ़ना-
व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन तन और मन रूपी गाड़ी से चलता है । व्यायाम, खेल शारीरिक विकास करते हैं तथा शिक्षा, चिन्तन-मनन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है । खेल के अनेक रूप हैं- कुछ खेल बच्चों के लिए होते हैं, कुछ बड़ों के लिए, कुछ बड़ों के लिए, कुछ वृद्धों के लिए होते हैं । कुछ खेलों को खेलने के लिए विशाल मैदानों की आवश्यकता नहीं होती ।
लेकिन उन में मनोरंजन और बौद्धिक विकास अवश्य होते हैं जैसे- कैरम बोर्ड, शतरंज, सांप-सीढ़ी, लुडो, ताश आदि । ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है ।’ जो बच्चे केवल पढ़ना ही पसन्द करते हैं खेलना नहीं, देखा जाता है कि वे चिड़चिड़े आलसी या डरपोक हो जाते हैं, यहां तक कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं ।
जो पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेते हैं वे चुस्त और आलस्य रहित होते हैं । उनकी हड्डियां मजबूत और चेहरा कान्तिमय हो जाता है, पाचन-शक्ति ठीक रहती है, नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है, शरीर वज्र की तरह हो जाता है । छात्र जीवन में केवल खेलते या पढ़ते ही नहीं रहना चाहिए अपितु उद्देश्य होना चाहिए खेलने के समय खेलना और पढ़ने के समय पढ़ना-
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जीवन खेल का बहुत महत्व है।क्यौंकि खेल खुद से हमारा शरीर तंदरुस्त और फिट रहता है।खेल खुदने से जल्दी से हम बीमारी का शिकार नही होते अगर हम खेलते रहेंगे तो हमारा शरीर ऐक्टिव रहता है । यही नही यदि आपकी रुचि खेलकूद मे है तो आप इस क्षत्र मे बहुत आगे तक जा सकते है यह आप पर निर्भर करता है की आप किस खेलकूद के क्षत्र मे अपने आपको आगे बढ़ाना चाहते है बाद मे यही अपकी सफलता का कारन बनेगी। वैसे अगर देखा जाय तो खेलकूद के मामले मे ऑस्ट्रेलिया सबसे अग्गे है ।
HOPE IT'S HELP YOU
।
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