Hindi, asked by tk580485, 7 months ago

जीवन में प्रेम का मार्ग क्यों अपनाना चाहिए​

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Answered by bittukumar7258
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जीवन का उद्देश्य अगर मुक्ति है तो लोग मोह के बन्धन में क्यों पड़ते हैं?

मोह और प्रेम की गहराई में जमीन और आसमान का अन्तर है।

मोह तालाब है जहां पानी ठहरा हुआ है।

हम अपने घर के चंद लोगों तक ही अपना प्यार सीमित रखते हैं उन्हीं के लिए जीते और मरते हैं,किसी अन्य के बारे में सोचते तक नहीं,अपने जीवनदाता ईश्वर के बारे में भी नहीं।यह मोह है प्रेम नहीं।

यदि हम ईश्वर से ईश्वर को ही माँगने के लिए भक्ति करें तो हमारा मोह का दायरा बढ़कर प्रेम में परिवर्तित होने लगता है।

ठहरा हुआ तालाब का पानी निरन्तर बहती हुई निर्मल नदी का रूप धारण करने लगता है।

ईश्वर के प्रति बिना माँग का प्रेम हमें सिर्फ अपने परिवार ही नहीं जीवमात्र के प्रति प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है।वही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

शुरूआत आपकी अपने परिवार से निष्काम कर्त्तव्य पालन से होगी,फिर अपने संयुक्त परिवार से,फिर बढ़ते बढ़ते समाज के प्रति प्रेम और विस्तृत होगा।जब हमारा दिल से यह भाव हो जाएगाः

सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयः,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,मा कश्चिद् दुखभाग्यवेत्।

मुक्ति का सही अर्थ तभी समझ में आएगा।

ध्यान,चिन्तन,मनन और आत्मविशलेषण से हम समय पाकर जिस रूहानी प्रेम का अनुभव करते हैं,वह प्रेम का बंधन ही हमें मुक्ति प्रदान करता है,

सांसारिक मोह के बंधन नहीं।

वे तो जिम्मेदारियाँ हैं जो पिछले कर्मों के फलस्वरूप मिलीं हैं।

सच ही कहा गया हैः

पोथि पढ़ पढ़ जग मुआ पडिंत भया न कोय,

ढाई अक्षर प्रेम का,पढ़े सो पंडित होय।

यह पतिपत्नी,भाई बहन या बच्चों के प्रति ढाई अक्षर प्रेम की बात नहीं है,यह जीवमात्र और ईश्वर के प्रति निष्काम प्रेम की बात है जो आज के समय में अति दुर्लभ है।

यही प्रेम मुक्ति का द्वार है।

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