जीवन में प्रतियोगिता का महत्व पर अनुच्छेद 90 words please help
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Explanation:
प्रतियोगिता अपने कौशल्य को जाँचने की एक कड़ी होती है, प्रतियोगिताओं के दौरान ही हम अपनी काबिलियत का स्तर जान पाते हैं। इनकी भूमिकायें उतनी ही महत्त्वपूर्ण होतीं है जितनी कि एक स्वर्णकार के लिए मिट्टी से मिले सोने को निखार कर उसमें अपनी कारकिर्दी से चमक भरने की होती है। प्रतियोगिता एक ऐसा स्थल है जहाँ स्पर्धकों को अपनी योग्यता और कौशल्य को साबित करने का अवसर मिलता है। प्रतियोगिता हमें हमारे जीवन का लक्ष्य साधने में मदद करती है इसलिए हमें कभी भी प्रतियोगिताओं से पीछे नहीं हटना चाहिए।
प्रतिस्पर्धा छोटी हो या बड़ी, परन्तु सारी स्पर्धाओं का लक्ष्य एक ही होता है जैसे कि प्रतिस्पर्धियों के गुणों को पहचान दिलाना, उन्हें निखारना व उनमें विकास लाना। हर एक ऐसे अवसर से लोगों की योग्यता उभरती है और उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है । किसी भी क्षेत्र की स्पर्धा में सम्मिलित होने से व्यक्ति को अपनी कला, ज्ञान व योग्यता का बोध होता है, भविष्य में आगे बढ़ने की नयी दिशा मिलती है, खुद पर विश्वास बढ़ता है, और अनुभव मिलता है।
प्रतियोगिता की यही बात चाणक्य नीति में भी बताई गयी है कि ”अपनी प्रतियोगिता हमेशा अपने से ताकतवर लोगों से करनी चाहिए ताकि जीते तो महारथी और हरे तो नई सिख मिलती है” अर्थात अनुभव मिलता है। किसी वस्तु या कार्य का अनुभव मिलना जीतने से कई गुणा बड़ा होता है।
हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी के भी कुछ इसी प्रकार सुविचार थे कि असफलता का अनुभव ही सफलता का मार्गदर्शन है।इसलिए विद्यार्थियों को स्कूल में आयोजित हर प्रतियोगिता में खुल कर भाग लेना चाहिए, ताकि वे अनेक अनभिज्ञ विषयों से परिचित हो सकें और उन्हें उनकी रूचि-अरुचि का पता चल सके और वे निरंतर कुछ नया सीखते रहें।
प्रतिस्पर्धा का अगर असल पर्यायवाची शब्द देखा जाये तो वो ‘चुनौती’ होगी। जी हाँ चुनौती ही तो होती है जिसमें हमें दूसरों से बेहतर करके दिखाना होता है। हमें हमेशा निडर होकर चुनौतियों को स्वीकारना चाहिए। इस युद्ध में स्पर्धकों के हाथ के हथियार उनकी अपनी कला व उस क्षेत्र में उनका ज्ञान होता है।
युग के महान राजनीतिज्ञ चाणक्य ने कहा है कि आपकी प्रतियोगिता स्वयं से होनी चाहिए नाकि दूसरों से, ताकि भविष्य में आपको अपनी इन स्पर्धाओं पर गर्व महसूस हो। प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनने वाले हमारे मित्रगण भी उत्साह बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ते जो हममें स्फूर्ति भर देते हैं, और भाग न लेने के बावजूद स्पर्धकों को प्रोत्साहित करते रहते हैं। वें सभी पर अपनी नज़र टिकाये रखतें हैं, बाद में हमने कहाँ-कहाँ गलतियाँ की उसका पूरा बियौरा देते हैं, जिससे हमें तुरंत अपनी गलतियों को सुधारने का मौका भी मिल जाता है।
किसी के प्रयास कम पड़ सकते हैं लेकिन बेकार नहीं जा सकते क्योंकि वही हार उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है इसलिए कभी भी हारने से आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। इन सभी बातों का सार है कि जीतने से अधिक महत्त्व होता है प्रतियोगिता में भाग लेना।
Answer:
प्रतियोगिता हमें जीवन में अपना लक्ष्य सेट करने में सहायता करता है। जीवन में हमें कभी भी प्रतियोगिता से पीछे नहीं भागना चाहिए। चुनौती लेना सीखना चाहिए और जीतने की कोशिश करना चाहिए। प्रतियोगिताएं वर्षों से एकत्रित ज्ञान और कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक शानदार मंच प्रदान करती हैं।