जीवन में सूझ-बूझ से काम लेने और बड़ों की बात मानने की सलाह देते हुए अपने मित्र को एक पत्र
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दिनांक ……..
प्रिय मित्र दिनेश,
सस्नेह नमस्कार।
मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा है तुम भी सकुशल होंगे। तुम्हें जानकर प्रसन्नता होगी कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में खेलों के स्तर पर सुधार हुआ है। नए उदीयमान खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, जिसे देखकर लगता है कि वे दिन दूर नहीं जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत विशेष स्थान प्राप्त करेगा।
रियो ओलंपिक 2016 में भारत की ओर से 124 खिलाड़ियों का सबसे बड़ा दल भेजा गया। ओलंपिक में स्वर्ण जीत चुके अभिनव बिंद्रा भारतीय दल के ध्वजवाहक बने और समापन पर साक्षी मलिक ने यह उत्तरदायित्व निभाया। यद्यपि हमारे खिलाड़ियों ने अपनी ओर से पूरा प्रयास किया परंतु केवल पी. वी. सिंधू एकल महिला बैडमिंटन में रजत और साक्षी मलिक फ्रीस्टाइल 58 कि. ग्रा. कुश्ती मे कांस्य पदक जीतने में सफल रही।
दीपा कर्माकर ने ओलंपिक में पहली बार भारतीय जिमनास्ट के रूप में पदार्पण किया और चौथे स्थान पर रही तथा प्रोदुनोवा वोल्ट सफलतापूर्वक करने वाली विश्व की पाँच जिमनास्टों में से एक बनी। बाईस वर्ष बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुँची। इसी प्रकार मुक्केबाज़ विकास कृष्ण यादव मिडल वेट स्पर्धा में क्वार्टर फाइनल तक पहँचे। सानिया मिर्जा तथा रोहन बोपन्ना की जोडी टेनिस के मिश्रित युगल में मेडल के करीब तक पहुँची।
अभिनव बिंद्रा 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग के मात्र आधे अंक से पदक से चूक गए। इस प्रकार भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा जितना कि उनसे अपेक्षा की जा रही थी। परंतु खिलाड़ियों तथा भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने अगले ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने का संकल्प लिया है, जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत है।
अंकल-आंटी को मेरी नमस्ते कहना और चिंटू को प्यार।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
क. ख. ग.।