Hindi, asked by rajendrabhosale291, 7 months ago

जीवन मे सुख दुख का महत्व हे इस विषय पर निबंध लिखिये​

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Answered by saloni766
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जीवन में सुख -दुख पर निबंध – माना गया है के मानव इस दुनिया में खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाएगा , परन्तु यह बात बिल्कुल भी सत्य नहीं है क्योंकि जब इंसान इस दुनिया में जन्म लेता है तो जीवनभर उसने जो अच्छे जा फिर बुरे कर्म किये हैं वह अपने साथ उन किये हुए कर्मों को लेकर जाता है। इसके अलावा जब वह जन्म लेता है तभी उन पिछले जन्म के कर्म पाप तथा पुन्य को अपने साथ लेकर आता है। इसीलिए इस दुनिया में शरीर धारण करने के बाद उसी के मुताबिक़ अपने सुख -दुःख सहन करता है।

जीवन में सुख दुःख पर निबंध

जब पाप की कुंजी खर्च होती है तो मनुष्य को दुखों का सामना करना पड़ता है और जब इंसान अपने पुण्यों की कुंजी को खर्च करता है तो वह सुख भोगता है। यही जीवन की असलियत है।

यदि कोई बच्चा किसी अमीर इंसान के घर में जन्म लेता है तभी उसके जन्म के साथ ही उसके पालन पोषण की हर प्रकार की सुख -सुविधाएं उसे हासिल होती हैं उसे गाडी , बंगला , सोना एवं आराम की जिन्दगी हासिल होती है।

इसका मतलब यही हुआ कि इंसान अपने जन्म के साथ साथ अपने पिछले जन्म में के पुण्य और पाप के फल अपने साथ लेकर आया है यानी कि उसने अपने पिछले जन्म में जो अच्छे कर्म किए थे उसके फलस्वरूप उसका जन्म एक अच्छे परिवार में हुआ। वहीं दूसरी तरफ देखा जाए जिस बच्चे का जन्म एक गरीब परिवार जा घर में होता है जहां पर उसे सुख सुविधाओं से दूर रहना पड़ता है उसे अपने पिछले जन्म में किए हुए बुरे कर्मों की सजा मिली है वह अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों को भोग रहा है।

जब भी हमें जीवन में दुखों का सामना करना पड़े हमें समझ लेना चाहिए कि यह पाप की कुंजी का फल है, हमारे जीवन में दुखों के आने का मतलब हुआ कि हमारे पाप की पूंजी खत्म हो रही है इसीलिए हमें अपने जीवन में मुश्किलों का सामना करने पर भी अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए इसलिए हमें पता चलता है कि जीवन में दुखों के आने का मूल कारण ही हमारे द्वारा किए गए पापों का फल है।

इसी तरह से जब इंसान को अपने जीवन में सुख प्राप्त होते हैं तो यह समझ लेना चाहिए कि उसके द्वारा किए गए अच्छे कर्मों का फल है मतलब पुण्य की पूंजी खत्म हो रही है जहां पर सुखा आने पर शुभ कर्म करते हैं जैसे दान, पुण्य, सेवा, सिमरन ,प्रभु , भक्ति , पाठ – पूजा अपनी उस पुणे की पूंजी को और बढ़ाते हैं तथा सदैव सत्य कर्मों में लगे रहते हैं।

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Answered by Anonymous
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क्या आप जानते हैं इस वक्त आपके साथ जो हो रहा है वह आपकी इस क्षण की जरूरत है नहीं ना हो सकता है अभी आपको इस बात पर भरोसा ना हो परंतु जवाब इतिहास के पन्ने पलट कर देखेंगे तो आप ही जानेंगे कि आपके जीवन में जो भी घटना घटित हुई है वह उस समय के मुताबिक से बिल्कुल सही थी क्या समय अनुकूल थी इस बात को आप आज स्वयं ही स्वीकार करेंगे.

जैसे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भोजन में खट्टे मीठे कड़वे नमकीन हर प्रकार के स्वाद की जरूरत होती है ठीक उसी प्रकार संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए जिंदगी में खट्टे मीठे टी के कड़वे हर प्रकार के अनुभव की आवश्यकता होती है कहने का अर्थ यह है कि जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए समय-समय पर अलग-अलग घटनाओं का होना आवश्यक है मैं तो यहां तक कहूंगा परम आवश्यक है.

प्रकृति में मौसम लोग घटनाएं ऐसा कहूं देखने वाली हर चीज हर पल बदल रही है इस बदलाव में इंसान की कोई न कोई आवश्यकता पूरी हो रही है परंतु और ज्ञान या जानकारी के अभाव में इंसान यह जान नहीं पाता की उससे उसे किस चीज की आवश्यकता है उसे समझ मिल जाए तो उसकी सारी शिकायतें अपने आप ही समाप्त हो जाती है.

उदहारण के लिए मान लीजिए इस वक्त आपकी जेब में ₹1000 हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि आपकी इस पल आपकी जरूरत ₹1000 है अगले पलिया आवश्यकता बदलकर ₹2000 में परिवर्तित हो सकती है परंतु इस पल जितनी जरूरत है उतने पैसे पहले से आपके पास है इस पल आपको जितनी हवा रोशनी इत्यादि जो भी चीजें चाहिए उतनी आपको मिल रही है जितना खाना मिलना चाहिए उतना मिल रहा है इस समय से देखेंगे तो पता चलेगा उस समय कि आपकी सभी जरूरतें अच्छी तरह से पूरी हो रही है मगर मन को ज्ञान ना होने के कारण वह हमेशा असंतुष्ट करता है कि मुझे यह चीज कम मिली या नहीं मिला या सामने वाले से ज्यादा मिल जाए ऐसे विचार व्यक्ति को लगातार परेशान करते हैं जिस कारण वह दुखी होते रहता है.

अतः यह मेरी इस समय की जरूरत है इस पंक्ति को मजबूरी में नहीं बल्कि उसके पीछे कि समझ को जानकर कहें हो सकता है अगले पल वह बदल जाए

यकीन करिए जो कुछ भी हो रहा है यह मेरी एसएन की जरूरत है इस समय के साथ जीवन की प्रत्येक घटना व्यक्ति को ना सिर्फ स्वीकार करनी होगी बल्कि धीरे-धीरे उसे पसंद भी आने लगेगी

जैसे इस समय आप एक कमरे में मान लीजिए आराम से बैठे हैं आपके मन में कोई भी विचार नहीं आ रहा फिर अचानक से एक विचार आपके मस्तिष्क में आता है क्या बहुत ज्यादा गर्मी है इतना छोटा कमरा नहीं होना चाहिए तब क्या होगा सीधी सी बात है दुख होगा उस समय आप स्वयं को बताएं कि यह कमरा ऐसा है क्योंकि इसे ऐसा ही होना चाहिए तो आप पुनः शांत अवस्था में पहुंच जाएंगे अर्थात अचानक से दुख गायब हो जाता है कहने का मतलब यह है कि जैसे ही आप किसी घटना को अस्वीकार कर लेते हैं तो दुख शुरू होता है अन्यथा दो को स्वीकार करते ही दुख विलीन होने लगता है समझिए ऐसा क्यों होता है

इसे आप इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि जब कोई अस्वस्थ व्यक्ति डॉक्टर से इंजेक्शन लगवाने जाता है तो वह अपनी सांस रोक लेता है जबकि विज्ञान यह कहती है कि यदि इंजेक्शन की सुई शरीर के अंदर प्रवेश कर रही हो तो आप अपनी स्वास को अंदर ले यह स्वीकार करने का प्रतीक है स्वीकार करने से दर्द कम होता है.

अस्वीकार करने से बढ़ेगा इसलिए लोग और घटनाओं को वे जिस तरह के हैं उसी तरह से स्वीकार करें ऊपर दी गई बात को अगर कुछ ही शब्दों में या निष्कर्ष रूप में पंक्ति बंद करना हो तो वह यह होगी कि ""स्वीकार सुख है अस्वीकार दुख""" है

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