जीवन में तपस्या का महत्व
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यदि हमें मक्खन से घी बनाना है तो सीधे ही उसे आंच पर नहीं रख देते। उसे किसी बर्तन में डालना होगा। यहां उद्देश्य बर्तन को तपाना नहीं है बल्कि मक्खन को शुद्ध करना है।
भगवान महावीर कहते हैं तप से आत्मा शुद्ध होती है, कषाय मिट जाते हैं। तप का अर्थ क्या है इसे समझना आवश्यक है। यदि हमें मक्खन से घी बनाना है तो सीधे ही उसे आंच पर नहीं रख देते। उसे किसी बर्तन में डालना होगा। यहां उद्देश्य बर्तन को तपाना नहीं है बल्कि मक्खन को तपाकर उसे शुद्ध करना है। इसी तरह आत्मा का शुद्धिकरण होता है।
Explanation:
तपस्या का एक अर्थ है जहां इच्छाएं समाप्त हो जाए। हम लोग भूखे रहने की तपस्या तो काफी कर रहे हैं पर तपस्या के पीछे छिपे उद्देश्य को भूल रहे हैं। हमारे यहां चातुर्मास में तपस्या की होड़ लग जाती है। यह अच्छी बात है परन्तु क्या तपाराधना के साथ हम इन्द्रिय संयम और कषाय-मुक्ति का लक्ष्य रख पाते हैं। इन्द्रियों के उपशमन को ही उपवास कहते है। इन्द्रिय विजेता ही सच्चा तपस्वी है।
Answer:
तपस्या तो ऐसी होनी चाहिए कि किसी को पता ही न चले। तप प्रदर्शन का माध्यम नहीं है, वह तो कषाय मुक्ति और आत्मा शुद्धि का अभियान है। भगवान महावीर कहते हैं तप से आत्मा परिशुद्ध होती है। शरीर को तपाना तो पड़ेगा ही अपनी इच्छाओं पर अंकुश लगाने के लिए।