जीवन मे व्यायाम का महत्व (शारीरिक स्वास्थ्य आवश्यक, व्यायाम की आवश्यकता, व्यायाम से लाभ, सुन्दर स्वस्थ शरीर का स्वरूप, मन पर अनुकुल प्रभाव, समस्त आनंदो का स्त्रोत व्यायाम) in 200-250 words
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चाहे स्त्री हो वा पुरुष, जो भी भोजन करता है उसे व्यायाम की उतनी ही आवश्यकता होती है जितनी कि भोजन की । कारण स्पष्ट है । शरीर में व्यायाम रूपी अग्नि न देने से मनुष्य का शरीर आलसी, निर्बल और रोगी हो जाता है, जिन खाद्य पदार्थों से रक्त आदि धातुओं का निर्माण तथा बल का संचय होता है, वे सड़ने लगते हैं और शरीर में दुर्गन्ध उत्पन्न करके मनुष्य के मन में अनेक प्रकार के बुरे-बुरे विचार उत्पन्न करने लगते हैं, मनुष्य की बुद्धि और स्मरण शक्ति मन्द हो जाती है और युवावस्था में ही उसे दुःखदायी बुढ़ापा आ घेरता है । यदि मानव शरीर से आनन्द उठाना है तो उसे व्यायाम तथा ब्रह्मचर्य रक्षा द्वारा स्वस्थ और बलिष्ठ करना प्रत्येक स्त्री पुरुष का परम धर्म है ।
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