जीवन और मृत्यु एक ऐसा संघर्ष किसने देखा होगा। दोनों तरफ के आदमी किनारे पर एक तनाव की दशा में hirdai को दबाएं खड़े हैं जब किस्ती किनारे पर
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जीवन और मृत्यु का ऐसा संघर्ष किसने देखा होगा। दोनों तरफ के आदमी किनारे पर, एक तनाव की दशा में हृदय को दबाए खड़े थे। जब किश्ती करवट लेती, तो लोगों के दिन उछल-उछलकर ओठों तक आ जाते।
यह पंक्तियाँ गबन उपन्यास से ली गई है | गबन उपन्यास मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया एक यथार्थ वादी उपन्यास है। इस उपन्यास की कथा वस्तु अपने मूल्यों से भटकते मध्य वर्ग के जीवन का वास्तविक चित्रण करने की रही है।
पंक्तियों का अर्थ है कि , मनुष्य के जीवन में जीवन और मृत्यु का ऐसा संघर्ष किसने देखा होगा। ऐसा समय किसने देखा होगा जब , मनुष्य चारों ओर से मुसीबतों से घिर जाता हा | मनुष्य के दोनों तरफ़ कोई रास्ता नहीं रहता है | वह इतना बेबस हो जाता है कि तनाव की हालत से हृदय को पकड़ कर रखते है | जैसे जीवन अपना रुख बदलता है , उनका दिल ओठों तक आ जाता है | फिर कितनी भी कोशिश कर लो , मुसीबत से बाहर नहीं निकल सकते है |