जीवन और मृत्यु का ऐसा संघर्ष किसने देखा होगा । दोनों तरफ के आदमी किनारे पर, एक तनाव की दशा में हृदयको दबाए खड़े थे। जब किश्ती करवट लेती, तो लोगों के दिन उछाल - उछाल कर ओटों तक आ जाते । रस्सियों फेकने की कोशिश की जाती , पर रस्सी बीच ही में पड़ती थी। इसको हिंदी में व्याख्या करें।
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जीवन और मृत्यु का ऐसा संघर्ष किसने देखा होगा। दोनों तरफ के आदमी किनारे पर, एक तनाव की दशा में हृदय को दबाए खड़े थे। जब किश्ती करवट लेती, तो लोगों के दिन उछल-उछल ओठों तक आ जाते।
सप्रसंग : ये गद्यांश ‘मुशी प्रेमचंद’ द्वारा रचित उपन्यास ‘गबन’ से उद्धृत किया गया है। इस प्रसंग में उस समय का वर्णन है, जब कहानी के मुख्य पात्र रमानाथ, उसकी पत्नी जलपा और एक अन्य स्त्री पात्र जोहरा नदी के किनारे खडे हैं, और उनकी आँखों के सामने ही नाव मे सवार सारे लोग नदी में डूब जात हैं।
व्याख्या : रमानाथ, जलपा और जोहरा तीनों नदी के किनारे खड़े थे और वह जीवन और मौत के बीच के संघर्ष को देख रहे थे। नाव बार-बार लहरों पर उछल रही थी और डूबती जा रही थी। नाव में सवार लोग अपनी जान बचाने के लिए छटपटा रहे थे, लेकिन किनारे पर खड़े लोग उन्हें देखते रहने के लिए व्यवस्था और अपनी आँखों के सामने सारे लोगों को डूबते देख रहे थे और असहाय थे, वह कुछ नहीं कर सकते थे। जिंदगी और मौत के बीच ये अनोखा संघर्ष था। लोगों ने डूबते लोगों को बचाने के लिये नदी में रस्सी फेंककर कोशिश लेकिन रस्सी उन लोगों तक पहुँच ही नही पाती थी, बीच नदी में ही रह जाती थी। सारी कोशिशें बेकार जा रही थीं।
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