India Languages, asked by rukkupuni, 1 month ago

जीवने समाजसेवा अवश्यं करणीया । यदि वयं कस्मैचित् दीनाय धनं यच्छामः, निश्शुल्क
निरक्षरं पाठयामः, तस्य स्मरणेन अपि आनन्दः भवति । यदि वयम् अधिकम् आनन्दम्
इच्छामः अधिकाधिकानां जनानां सहायं कुर्याम । विद्यां यच्छाम, धनं यच्छाम, स्नेह
यच्छाम , समयं यच्छाम । दुःखस्य मूलं स्वार्थः, सुखस्य मूलं त्यागः । इदम् एव
सफलतायाः रहस्यम्।
प्रश्नाः
1. एकपदेन उत्तरत।
1. जीवने अवश्यं का करणीया ?
2. वयं निश्शुल्कं कं पाठयामः ?​

Answers

Answered by aarunya78
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सामान्य जुखाम, बुखार, खांसी तक की नहीं है दवा

सीतापुर। जिला अस्पताल में इस समय दवाओं की किल्लत बनी हुई है। सर्दी, जुखाम, बुखार, त्वचा रोग, एंटी एलर्जी, दर्द निवारक, हृदय रोग की एक भी दवा नहीं है। इसका असर मरीजों पर पड़ रहा है। खासकर बच्चों की ज्यादातर दवाएं नदारद हैं।

अगर किसी तरह डॉक्टर से दवा लिखवा ली तो वह बाजार में महंगे दामों पर मिल रही है। यह स्थिति कई महीनों से बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन का कहना है अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में दिक्कत और बढ़ जाएगी। इसकी जानकारी शासन को दी जा चुकी है।

प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद लोकल खरीद पर रोक लगा दी गई है। इससे अब सीधे शासन स्तर से दवाओं की सप्लाई होती है लेकिन शासन पर्याप्त मात्रा में जिला अस्पताल को दवाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। जिला अस्पताल के मुताबिक ओपीडी में रोजाना करीब तीन हजार मरीज आते हैं। 220 के आसपास भर्ती रहते हैं जबकि इमरजेंसी 24 घंटे चलती रहती है।

जिला अस्पताल की स्टॉक सूची में इस समय 109 दवाएं दर्ज हैं। इनमें से 25 से अधिक महत्वपूर्ण दवाएं स्टॉक में नहीं हैं। यह कमी काफी समय से बनी हुई है। इसके चलते मरीज अस्पताल आते हैं, डॉक्टर से परामर्श लेकर बिना दवा के ही लौट जाते हैं। अगर दवा दी भी जाती है तो वह असरदार नहीं होती है।

मिला रहा डेढ़ करोड़, जरूरत पांच करोड़ की

अस्पताल प्रशासन के मुताबिक प्रतिवर्ष दवाओं के लिए अस्पताल को करीब डेढ़ करोड़ का बजट मिलता है जबकि डिमांड इससे कई गुना अधिक है। एक वर्ष में करीब पांच करोड़ रुपये की दवाओं की जरूरत पड़ती है। इतना बजट न मिल पाने की वजह से दवाओं की किल्लत हो रही है।

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