जीवन यात्रा of Phul Mary tamang
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कई बार गोधूलि वेला की लालिमा में अकेले बैठकर
मैं तुम्हारी कहानी सुनाता हूँ
पतले तने के चंपा पेड़ को
हँसते हुए मोगरे के फूल को
निशब्द में उड़ती चिड़िया को
अच्छे बच्चे की तरह पंख समेटे बैठी तितली को
कहता हूँ देखो, तुम अब केवल चंपा-पेड़
मोगरा-फूल, चिड़िया या तितली बनकर नहीं रही
तुम मेरी तरह अकेले बैठकर इस प्रकार
देख रही हो, स्पर्श कर रही हो, जूडा सजा रही हो,विश्वास कर रही हो
प्रियतमा, याद रखो
हम दोनों अपने विगत कल से,आज से बड़े हैं
हम बड़े हैं हमारे अतीत, पुनर्जन्म से
और हम से बड़ी है प्रबल पराक्रमी वह निर्जनता
सारे कर्म, करण संप्रदान की वह जो अलंघ्य कर्ता।
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