जीवदया पर नीबंथ लिखे
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पृथ्वी पोधो का पोषण करती है और पौधे, कीटो, पक्षियो तथा जंगली पशुओ को पोषित करते है। दूसरी और मृत पशु गिद्ध का भोजन बनते है। मृत गिद्ध पृथ्वी में समाकर कीटो का भोजन बनती है और जो मृत कीड़े मकोड़े होते है। वो पोधो का खाद ( भोजन )बन जाते है और वृक्ष अपनी आयु पूरी करके फिर से उसी पृथ्वी में समा जाते है। इस प्रकार मनुष्य इन सब वस्तुओ को अपने काम में लाता है और वो एक दिन स्वम इसमें लीन हो जाता है अन्तः इन्ही का शिकार बनता है अतः ए जीवन का एक एसा चक्र है जिसमे सभी अपनी – अपनी भूमिका अदा करते है और इसे ये स्पस्ट हो जाता है .की ये एक दूसरे केए प्रत्न है जीवन का ये प्रतिरक्षण चक्र हमारे जीवन के लिए आवशयक भी है क्युकी मनुष्य और जिव जंतु एक दूसरे पर बहुत अधिक निर्भर है और इस चक्र में अपना – अपना योगदान देते है और ये जीवन प्रतिरक्षरण चक्र चलता रहता है।
हमारे जीवन में बहुत अधिक मत्वपूर्ण योगदान देने वाले कुछ पालतू पशुओं के नाम इस प्रकार है।
घोड़े, खच्चर, ऊठ, भेड़, बैल, गाय, मधुमक्खी, मछली, मेमने, कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, इस प्रकार इन पालतू पशुओ को हम पालकर हमारा जीवन यापन करते है। इस प्रकार इन पालतू पशुओ की गिनती करे तो शायद कमी पड़ जाए क्युकी अभी भी ऐसे पालतू पशु और भी है जिनका जिक्र हमने इसमें नहीं करा जो मनुष्य के जीवन में बहुत महतपूर्ण योगदान प्रदान करते है।
इनमे अब हम उन छोटे पशुओं का योगदान देखेंगे की वो मनुष्य के लिए किस प्रकार उपकार है।
जैसे मुर्गिया, मुर्गिया अण्डे देती है जिसका प्रयोग हमारे देश में इसे खाकर ही करते है और इस्से लाखो का व्यपार इसे बेच कर उपयोग करने वाले इसका उपयोग करते है, मुर्गी के अंडे और उसका मांस बड़े चाव से माँसाहारी लोग कहते है और हमारे देश में इसका व्यपार भी करा जाता है जिसे कई घर चलते है, मुर्गा की बांग के बारे में तो कहानी और किताबो में हम अक्सर पड़ा ही होगा की लाखो साल पहले जब घड़ियाँ नहीं होती थी उस समय ये मुर्गा ही घड़ी का काम करता था। इसका बांग सुनकर प्रातःकाल में हमें जगाने का काम करता था। और ये सालो से चली आ रही परम्परा अभी भी जारी है।
कोयल, कोयल के बारे में क्या बोलना उसकी मीठी कुक की आवाज़ से कोई भी व्यक्ति अनजान नहीं हो सकता है आप को पता ही होग़ा उसकी कुक की आवाज हमारे मन को आन्दित कर देती है उसकी मधुर ध्वनि हमारे मन को मोह लेती है।
मिठ्ठू, मिठ्ठू का हूबहू हम इन्शानो की तरह बोलना जग जाहिर है।
मेमनो और बछड़ों, को खेलते हुए देखकर आप का मन भी ख़ुशी म उठता है।
बत्तख,पानी में तैरते बत्तख और नाचते मोरो को देखते ही बनता है .रेशम के कीड़े से हमारे सुन्दर रेशमी वस्त्र बनते है .
मधुमखिया हमारे लिए शहद एकत्रित करती है जिसे हम सब बहुत ही चाव से चखते है और छोटे – छोटे प्यारे जुगनू की प्रकाश की रौशनी हमें अँधेरे में रौशदेती है।
इस प्रकार से ये छोटे -, छोटे जिव जंतु भी हमारे लिए बहुत उपकारी होते है।
बड़े जीव जंतु से हमारे लिए उपकार
पालतू पशुओं से मनुष्य को कई लाभ मिलते है।
घोड़े :- घोड़े जिस्से घोड़ाड़ी चलाईं जाती है इसमेी भी की जा सकती है और घोडा बोझाे ढ़ोने के काम आता है कुछ देशो में तो घोड़ो से हल भी चलाया जाता है।
गधा खच्चर :- गधा और खच्चर से भी बोझा उठाने का काम लिया जाता है .इन्हे लहू पशु भी कहा जाता है।
ऊठ :- जिन जगहों पर रेत होती है ,वहाँ रेगिस्तानी इलाको में उठ का उपयोग किया जाता है।
भेड़:- भेड़ से हमे ऊन मिलता है .जिससे ऊन के कपडे बनाये जाते है .भेड की खाल से चम्र पत्र भी बनाया जाता है .जिसपे लिखने का काम किया जै .इसके चंमडो से पुस्तकों पर जिल्द चढ़ाई जाती है।
बैल:- बैल को तो हल चलाने के काम में भी लाया जाता है .और वो जान मर जाता है तो उसके चमड़े से जुत्ते चप्पल बनाये जा।
गाय :- हमारे जीवन में गाय का जो स्थान है वैसिसी पशु का नहीं हो सकता .यहां तक की भगवान श्री कृष ने द्वारकापुरी में ब्रज में गायो की सेवा करते थे ब्रज में जब वो गायो को चराने के लिए ले जाते थे .तो बासुंरी की आवाज से गाये जहा होती थी .वहा से खींची चली आती थी बाँसुरी की मधुर ध्वनि से गाय तक मन्त्र मुघ्ध हो जाती थी .ब्रज में गायो को एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है .सदियों से ब्रज में गायो को पाला जाहै .ब्रजवासिओ का समस्त जीवन ही गोवंश पर आधारित था। गायके दूध से दही , मक्खन ,जैसे पौष्टिक पदार्थ प्राप्त होता है .इसके गोबर से और मूत्र से खाद्य का नाण होता है जो खेत की उपज बढ़ाने में सहायक होता है .गायके बछड़े बड़े होकर खेलो में हल खींचने के काम आते है। इस प्रकार गाय ,ब्रजवासियो के जीवन का आवशही नहीं उनके परिवार का प्रमुख सदस्य ही बन गई थी ,और वो परम्परा हमारे देश में अभी तक चालू चली आ रही है। इस प्रकार हम कह सकते है की मनुष्य और पशुओं की मित्रता की कहानी सदिओं पुरानी है।
कुत्ता:- सबसे पहले मित्रता की कहानी कुत्तो से ही शुरू हुआ होगा क्युकी कुट्टी कुत्तो को स्वभामिभक्त औरी के नाम से जाना जाता है और वो इतना वफादार होता है की अपने स्वामी के लिए वो अपने प्राण भी दे सकता है सुरक्षा करने ,मार्ग दिखाने,यहां तक की तस्करी और आतंकवादीओ को पकड़वाने में कुत्तो का बहुमुल्य योगदान है कुत्ते की सुघने की तीव्रता इतनी तोती है की वो सूंघकर चोर लुटेरों का पता कर सकता है यानी हम ये कह सकते है की कुत्ते की नाक वो काम कर सकती है जो अच्छी से अच्छी तकनीकी युक्त मशीन नहीं कर सकती है ,जो ये वफादार जानवर कर सकता है।