ज्यों निकलकर बादलों को गोद से,थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी। सोचने फिर-फिर यही जी में लगी आह, क्यों घर छोड़कर में यों कदी देव मेरे भाग्य में है क्या बदा,मैं बनूंगी या मिलूंगी धूल में उपर्युक्त काव्य खंड का शीर्षक लिखिए
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शीर्षक : हमलोग एक गुलाब की फ़ूल की तरह है जिसमें कांटे भी है और एक फूल भी है
एक क्षण भी हमारे लिए बहुत बहुत कीमती है
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