Hindi, asked by islascarlett7, 7 hours ago

ज्यों निकलकर बादलों की गोद से,
थी अभी इक बूंद कुछ आगे बढ़ी।
सोचने फिर फिर यही जी में लगी,
आह क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी ।
देखें मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल या जागी गिर अंगारे पर किसी,
चू पढूंगी या कमल के फूल में ।।
के बह गई उस काल इक ऐसी हवा,
वह समुंदर ओर आई अनमनी।
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला,
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी ।
लोग यों ही हैं झिझकते सोचते,
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।
किंतु घर का छोड़ना अकसर उन्हें,
बँद लौं कुछ और ही देता है कर ।
Q. बादलों से निकलने के बाद बूंद के मन में क्या असमंजस पैदा हुआ?​

Answers

Answered by shishir303
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¿ बादलों से निकलने के बाद बूंद के मन में क्या असमंजस पैदा हुआ ?​

➲ बादलों से निकलने के बाद बूंद के मन में यह असमंजस पैदा हुआ कि वह बादल रूपी अपना घर छोड़कर बाहर तो निकल आई है, लेकिन उसके भाग्य में आगे क्या लिखा है, उसको इस बात का डर था। उसे डर कि वह अपना अस्तित्व बरकरार रख पाएगी नही। वह धूल में मिल जाएगी अथवा किसी अंगारे पर गिरकर जल जाएगी या किसी कमल के फूल में जाकर चू पड़ेगी उसे अपने अस्तित्व के विषय में भय हो रहा था।

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