‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य की कथावस्तु (सारांश) संक्षेप में लिखिए ।
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कथानक का प्रारम्भ नायक में देवत्व और मनुजत्व के सम्मिश्रण से हुआ है। विधाता ने जवाहरलाल नेहरू के अलौकिक व्यक्तित्व का निर्माण अपनी रचना का समस्त कौशल लगाकर किया है। कवि की भव्य कल्पना है कि विधाता ने इन्हें सूर्य से ज्योति, चन्द्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से मन की गहराई, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर दिव्य पुरुष के रूप में रचा है। कवि के अनुसार नेहरू जी के व्यक्तित्व में अनेक राज्यों के महान् पुरुषों के गुणों के साथ-साथ राज्यों के सामाजिक-सांस्कृतिक गुणों का भी समावेश निम्नलिखित रूप में हुआ है
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