Hindi, asked by hemi221995, 10 months ago

जायसी के काव्य की समान्य विशेषताओ पर प्रकाश डालिये

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Answered by nikkirajpurohit
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Answer:

जायसी रससिद्ध कवि हैं। आपके काव्य का भाव-पक्ष तथा कला-पक्ष दोनों ही समान रूप से प्रभावशाली हैं। आपकी रचनाओं की काव्यगत विशेषताएँ इस प्रकार हैं- जायसी ने भारतीय प्रेमाख्यानों को अपने काव्य का विषय बनाया और उनके माध्यम से आध्यात्मिक रहस्यों को प्रस्तुत किया। 'पद्मावत' काव्य के रूप में एक प्रेम कथा है किन्तु उसमें आत्मा-परमात्मा का मधुर सम्बन्ध तथा सूफी उपासना-पद्धति की विविध मान्यताएँ प्रतीकात्मक रूप में वर्णित हैं।

कला पक्ष

जायसी की रचनाओं में विविध रसों का समावेश बड़ी ही सफलता के साथ किया गया है। श्रृंगार के अतिरिक्त वीर, रौद्र, वीभत्स रसों का मार्मिक चित्रण भी जायसी की कविता में उपलब्ध है।

भाषा

जायसी की भाषा ठेठ अवधी है। उन्होंने उसके व्याकरण सम्मत स्वरूप पर विचार न करके उसमें माधुर्य और मृदुलता के संवर्द्धन पर ही अधिक ध्यान दिया है। यही कारण है कि उसमें व्याकरण-सम्बन्धी अशुद्धियाँ हैं परन्तु श्रुति-माधुर्य और हृदय को छूने की अद्भुत शक्ति है।

शैली

जायसी ने प्रबन्ध शैली को अपने उद्देश्य के अधिक अनुकूल समझा। उन्होंने लोक-प्रचलित भारतीय प्रेमकथाओं का आधार लेकर महाकाव्य की रचना की और साथ ही विदेश मसनव्बी शैली को भी स्थान दिया। काव्य-रचना में आपने आलंकारिक शैली, प्रतीकात्मक शैली, शब्द चित्रात्मक शैली तथा अतिशयोक्ति-प्रधान शैलियों का प्रयोग किया है।

छंद

जायसी ने दोहा-चौपाई, छंदों का प्रयोग किया है। इसी छंद-योजना का चरम विकास तुलसी के 'रामचरितमानस' में प्राप्त होता है।

अलंकार

जायसी ने अलंकारों के प्रयोग में पूर्ण उदारता से काम लिया है। रूप-वर्णन, युद्ध, प्रकृति-चित्रण तथा आध्यात्मिक तत्वों की रहस्य-योजना में अलंकारों की पूरी सहायता ली गई है। आपके प्रिय अलंकारों में उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, रूपकातिशयोक्ति आदि का विशेष रूप से प्रयोग हुआ है।

जायसी हिन्दी के प्रथम महाकाव्य के रचयिता हैं। आपकी रसमयी प्रेम-पद्धति हिन्दी काव्य साहित्य की मूल्यवान निधि है। एक साहित्यकार के रूप में तो आप प्रतिष्ठा-प्राप्त हैं ही, आपको साम्प्रदायिक सौमनस्य का संदेश-वाहक भी माना जाना चाहिए।

Answered by franktheruler
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जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताएं निम्नलिखित है

  • जायसी कवि की कविताओं में रस होता है।
  • जायसी की कविताओं का भावपक्ष व कला पक्ष दोनों प्रभावशाली होते हैं। उनके काव्य का मुख्य विषय प्रेम रहा है, वे प्रेम पर आधारित कविताएं लिखते है।
  • प्रेम के माध्यम से उन्होंने आध्यात्मिक रहस्यों को भी उजागर किया।
  • "पद्मावत " उनकी श्रेष्ठ कृति है जिसमें उन्होंने आत्मा व परमात्मा के मधुर संबंध का वर्णन किया है।

कलापक्ष

जायसी की कविताओं में विभिन्न रस प्रयुक्त हुए है जैसे वीर रस, श्रृंगार रस, रौद्र रस, वीभत्स रस आदि।

भाषा

उन्होंने ठेठ अवधी भाषा में रचनाएं लिखी है।

शैली

उन्होंने प्रबंध शैली अपनाई ।

छंद

जायसी ने दोहा - चौपाई छंदों का प्रयोग रचनाओं में किया है।

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