जायदाद की रजिस्ट्री होते ही जुम्मन का व्यवहार बदल गया, इससे जुम्मन के स्वभाव की क्या विशेषता प्रकट होती है?
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जुम्मन ने खाला से लम्बे चौड़े वादे करके खाला से जायदाद अपने नाम लिखवा ली थी । जब तक दानपत्र की रजिस्ट्री नही हुई, तब तक खाला की खूब ख़ातिरदारी हुई । स्वादिष्ट पदार्थ खिलाए गये । रजिस्ट्री की मुहर लगते ही इस ख़ातिरदारी पर भी मुहर लग गयी
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