जब आप “प्रदूषण" शब्द सुनते या पढ़ते हैं तो क्या सोचते हैं।
Answers
जब मैं "प्रदूषण" शब्द सुनता हूं तो मेरे दिमाग में सबसे पहले "खतरा" आता है
Explanation:
- विकास और औद्योगीकरण में वृद्धि के साथ, प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है।
- हम अपने आसपास प्रदूषण के हर रूप का निरीक्षण कर सकते हैं। या तो यह भूमि, वायु, शोर या पानी है
- यह पर्यावरण और मानव दोनों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है
- शहरों के विकास के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है और आवासों को नष्ट किया जा रहा है
- दूसरी ओर औद्योगिकीकरण वायुमंडल में जहरीले प्रदूषकों को छोड़ रहा है जो कई स्वास्थ्य मुद्दों को जन्म दे रहा है
नीचे दिए गए लिंक से प्रदूषण के बारे में और जानें
https://brainly.in/question/4424548
जब हम ‘प्रदूषण’ शब्द सुनते या पढ़ते हैं, तो हमारे मन में एक ही विचार उत्पन्न होता है, वह है, दूषित वातावरण या गंदा वातावरण।
हम एक ऐसे वातावरण में रह रहे हैं जो ऐसे हानिकारक तत्वों से दूषित है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं। आजकल प्रदूषण के अनेक रूप हो गए हैं, हमारे चारों तरफ वायु प्रदूषण है, ध्वनि प्रदूषण है, जल प्रदूषण है। यहाँ तक कि हमारे खाने का भोजन तक प्रदूषित हो चुका है। तकनीकी उन्नति के कारण हम संचार माध्यमों का अधिक उपयोग करने लगे हैं और सोशल मीडिया जैसे साधन भी आम और लोकप्रिय हो गए हैं। ऐसी स्थिति में हम अब विचारों के प्रदूषण से भी जूझ रहे हैं।
यानिअब हम केवल वातावरणीय प्रदूषण से ही नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक प्रदूषण से भी जूझ रहे हैं। हमें केवल वातावरण के प्रदूषण को ही दूर नहीं करना है जो कि वायु, जल, शोर-शराबे के रूप में हमारे चारों तरफ है, बल्कि हमें अपने शारीरिक व मानसिक प्रदूषण से भी निपटना आवश्यक हो गया है।
प्रदूषण कैसा भी हो किसी भी दृष्टि से हमारे लिए अच्छा नहीं है। अगर हम प्रदूषण वाले वातावरण में रहेंगे तो उसका हम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ही और हम तन, मन, धन दूषित होंगे और दूषित तन, मन और स्वास्थ्य लेकर हम उत्तम जीवन नहीं जी सकते।
वातावरण के प्रदूषण को दूर करने के लिए हमें विकास की अपनी अंधी दौड़ पर लगाम लगानी होगी। जिसके कारण हमारा प्रकृति प्रदूषित हुई हुई। वायु प्रदूषित हुई, शोर शराबा बढ़ गया है, मिट्टी प्रप्रदूषित हुई, जल प्रदूषित हुआ।
खराब स्वास्थ्य शारीरिक प्रदूषण की श्रेणी में आता है। शारीरिक प्रदूषण को दूर करने के लिए हमें अपने जीवन शैली को संयमित एवं नियंत्रित करना होगा, जिससे हमारा शरीर विषाक्त पदार्थों से प्रदूषित ना हो।
मानसिक प्रदूषण को दूर करने के लिए हमें स्वस्थ परंपरा कायम करनी होगी और ऐसे असामाजिक तत्वों पर लगाम लगानी होगी, जो नकारात्मक और अवांछनीय बातें करते हैं।
जब तब हम हर तरह के प्रदूषण से मुक्त नही हो जाते तब तक हम अपने जीवन को उत्तम नही बना सकते।
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