जब अचानक स्कूल बंद हुए पर कविता
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जब से चला कोरोना
शुरू हो गया है रोना
कोई घर मे छुप के बैठा
कोई पकड़े बैठा कोना।
थी जिंदगी में रौनक
सब खेल खा रहे थे
अच्छे भले थे सारे
खुशियां मना रहे थे।
आफिस भी सब खुले थे
स्कूल जा रहे थे
मास्साब जी बिजी थे
एग्जाम चल रहे थे।
फिर यूं हुआ कि एक दिन
जैसे नज़र लगी हो
ये खिलखिलाते मानव
खामोश हो गए सब।
स्कूल सारे सूने
वीरान गालियां कूचे
चहुँओर एक खामोशी
सबसे बनी है दूरी।
अब याद आ रहे हैं
वो दिन स्कूल वाले
वो व्यस्त व्यस्त रहना
वो अस्त व्यस्त रहना।
बच्चों से घिर के रहना
बच्चों की सुनते रहना
कभी चाक हाथ मे थी
कभी पेन का था फिसलना।
थक कर के घर को जाना
जाते ही बेड पे गिरना
एक मुस्कुराती गुड़िया
जब चाय लेके आये
पांव कभी दबाए
कभी खिलखिला के हंसना।
अब याद आ रहा है
स्कूल का वो टाइम
जब सबसे मिलके रहते
कितने मज़े थे करते।
लेकिन अभी है आशा
धीरज रखो ज़रा सब
पालन करो नियम का
सहयोग होगा सबका
ये वक़्त न टिकेगा
कोरोना भी मिटेगा।