जब भोलाराम के जीव ने नारद के साथ जाने से मना किया होगा तो क्या हुआ होगा ?
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Tu agya aur kavya hsjsujsjsjsjsjsjsjsjsisjsjsjjssjjsjwjw
भोलाराम का जीव स्वर्ग में न पहुंचने के कारण नारद उसकी खोज करने पृथ्वी पर आये है। भोलाराम की खोज करते-करते नारद उस दफ्तर में पहुंच गए जहां भोलाराम पेंशन की प्राप्ति के लिए दरख्वास्तों पर दरख्वास्तें भेजकर थक गया। उसके जिते जी उसे पेंशन नहीं मिल पाई। लेकिन मरने के बाद उन्हीं फाइलों में उसके प्राण अटके हुए है। उसका जीव उन फाइलों को छोड़कर स्वर्ग भी नहीं जाना चाहता। नारद द्वारा भोलाराम के जीव को ढूंढ लेने पर वे साथ चलने को कहते है परंतु भोलाराम – का जीवन पेंशन की फाइलो को छोड़कर नहीं जाना चाहता। ‘मुझे नहीं जाना। मैं तो पेंशन की दरख्वास्तों में अटका हूँ। यही मेरा मन लगा है। मै अपनी दरख्वास्ते छोड़कर नहीं जा सकता।’ इस तरह कहानी में व्यवस्था को व्यंग्य का लक्ष्य बनाया गया है और इसमें पड़े हुए आदमी की करुण स्थिति की ओर संकेत किया गया है।
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