Hindi, asked by ramb54459, 5 hours ago

"जब-जब वै सुधि कीजिये, तब - तब सब सुधि जाँहि। आँखिन आँखि लगी रहै, आँखेंलागति नाँहि।।"​

Answers

Answered by shishir303
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जब-जब वै सुधि कीजिये, तब-तब सब सुधि जाँहि।

आँखिन आँखि लगी रहै, आँखें लागति नाँहि।।

भावार्थ : ‘बिहारी सतसई’ के भाग 51 के इस दोहे में कवि बिहारी कहते हैं कि जब-जब कवि को उन भूली-बिसरी बातों और उनकी याद आती है, तब-तक उनकी सुधि यानि चेतना चली जाती है। वह सब कुछ भूल जाते हैं। उनकी आँखें मेरी आँखों से लगी रहती हैं। इसलिए मेरी आँखें भी नहीं लगती। इस तरह मुझे नींद भी नहीं आती। यानी कवि बेचैन होकर पूरी रात यूं ही काट देते हैं।  

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Answered by Nandan04
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Answer:

यह बिहारी सतई के भाग 62 का अंश है,

इस छंद के माध्यम से बिहारी जी एक वियोगिनी नायिका की दशा को दिखाते हैं ।

Explanation:

इस छंद में एक वियोगिनी नायिका अपनी सखी से कहती है कि जब जब मैं अपने प्रियतम को याद करती हूं तो तब तब मैं अपनी सुधि खो जाती हूं उनकी आंखों के ध्यान में मेरे हृदय रूपी आंखें लगी रह जाती हैं और मुझे नींद नहीं आती ।

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