जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है।
Answers
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दो पदार्थ पर समान प्रकृति के विपरीत परिमाण के आवेश उर्जित होते हैं क्योंकि युग्मों में आवेश निर्मित होते हैं। चार्जिंग की इस घटना को चार्जिंग फ्रिक्शन कहा जाता है। दो घिसने वाले पदार्थो की प्रणाली पर योगफल शून्य है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वस्तुओ द्वारा अर्जित विजातीय आवेश की समान मात्रा एक-दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते है। जब एक कांच की छड़ को एक रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है, तो दोनों पदार्थ पर विपरीत स्वभाव वाले चार्ज दिखाई देते हैं। यह घटना ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुरूप है। एक समान घटना कई अन्य द्रव्यों के साथ देखी जाती है।
आवेश संरक्षण से आशय है कि किसी वियुक्त निकाय का कुल आवेश सदैव संरक्षित रहता है अर्थात ना तो निकाय के आवेश को उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही उसे नश्ट किया जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर जब हम किसी काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो छड़ के कुछ इलेक्ट्रॉन रेशम के टुकड़े में स्थानांतरित हो जाते है जिस कारण काँच की छड़ धनावेशित और रेशम का टुकड़ा ऋणावेशित हो जाता है। इस प्रक्रिया में ना तो कोई आवेश उत्पन्न होता है और ना ही कोई आवेश नश्ट होता है केवल आवेशो का स्थानांतरण होता है इस प्रकार यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम को सिद्ध करता है।