जब कोई राह न सूजी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसने शक्ति भर उसे धरती में घोप दिया और ताकत से उसकी खींचने लगा आशय स्पष्ट कीजिए
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यह पंक्तियां तताँरा वामीरो कथा से लिया गया है इसके लेखक लीलाधर मंडलोई हैं।
इन पंक्तियों में लेखक तताँरा के मन के विचारों को व्यक्त किया है। तताँरा वामीरो से प्रेम करता है और उससे विवाह भी करना चाहता है, परंतु वामीरो का परिवार इसे पसंद नहीं करता। पशु मेले में वामीरो की माता तताँरा को वामीरो के साथ देखकर आग बबूला हो उठती हैं और उसे अपमानित करती हैं। गांव के अन्य लोग भी सतारा का विरोध करने लगते हैं। इस पर तताँरा क्रोध से भर उठता है, परंतु किसी पर क्रोध करने के बजाय वह अपनी तलवार को पूरा जोर लगा कर धरती में घोंप देता है और फिर उसे खिचने लगता है।
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