Hindi, asked by tembhurnikarnirjara, 8 days ago

जब मांगू तब जल भारी लावे मेरे मन की तपन बुझावे मन का भारी तन का छोटा ए सखी साजान ना सखी लोटा बेर बेर सोबत हि जगावे ना जागू तो काटे खावे व्याकुल हुई मै हल्की बल्की ए सखी सजान ना सखि. मक्खी १. पड्यांश की पहली चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए २. मक्खी कविता के आधार पर ऐसा प्रश्न तयार किजीये जिस का उत्तर मक्खी हो​

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Answered by 19959580948
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Answer:

what is your question ❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓

Answered by petkarmadhavi4
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Explanation:

जब माँगू तबजल भारी लावे मेरे मन की तपन बुझावे मन का भारी तन का छोटा ए सखी साजान

ना सखि लोटा ।।

नायिका कहती है कि जब मैं उससे माँगती हूँ, तो वह पानी भर लाता है। वह मेरे मन की गर्मी बुझा देता है। उसका दिल बहुत बड़ा है, पर उसका शरीर बहुत छोटा है। उसकी सखी पूछती है, सखी, क्या वे साजन हैं? नायिका जवाब देती है- नहीं सखी, वह तो लोटा है।

बेर बेर सोवतहिजगावे ना जागू तो काटे खावे व्याकुल हुई मै हल्की बल्की ए सखी सजान‘ना सखि मक्खी ।।

नायिका कहती है कि वह बार-बार मुझे सोते से जगा देता है। यदि मैं नहीं जागती, तो वह मुझे काटता है। इससे मैं विकल और आश्चर्यचकित हूँ। नायिका की सखी उससे पूछती है कि सखी क्या वे साजन हैं? नायिका जवाब देती है-नहीं सखी, साजन नहीं, वह तो मक्खी है।

नायिका को बार बार सोतेसे कोन जगाता है?

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