जब मांगू तब जल भरि लावे। मेरे मन की तपन बुझाये।। मन का भारी तन का छोटा। ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा।।
इन चार पंक्तियों का भावार्थ
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जब मांगू तब जल भरि लावे।
मेरे मन की तपन बुझाये।।
मन का भारी तन का छोटा।
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा।।
व्याख्या :
यह पंक्तियां अमीर खुसरो द्वारा रचित मुकरियां हैं, जो पहेलियों का ही एक रूप है, इन के माध्यम से लेखक ने मनोरंजनात्मक बुद्धि चातुर्य की परीक्षा ली है।
अर्थ : नायिका अपनी सहेली से कहती है जब मैं उसे मांगती हूँ, तो वह मुझे पानी ला कर देता है और मेरे शरीर की गर्मी को दूर भगाता है, बताओ कौन? सहेली कहती है, साजन। नायिका बोलती है, सही उत्तर है, लोटा।
नायिका फिर कहती है, जब मैं सोती हूँ, बार-बार मुझे जगाता है, ना जागूं तो मुझे काटता है। उसकी इस आदत से मैं बहुत दुखी हो जाती हूँ, बताओ कौन ? सहेली कहती है, साजन। नायक बोलती है, सही उत्तर है, मक्खी।
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