जब मुझे अपने दोस्त पर गुस्सा आया पर अनुच्छेद
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जब मुझे अपने दोस्त पर गुस्सा आया पर अनुच्छेद|
Explanation:
मैं अपने दोस्त राघव से बहुत प्रेम करता हूँ। वह मेरा सहपाठी है। हम दोनों बहुत अच्छे मित्र हैं। हमने कभी आपस में झगड़ा नहीं किया।
एक दिन मुझे अपने दोस्त पर बहुत गुस्सा आया गुस्से का कारण कक्षा से मिला गृह कार्य था। हम दोनों में से जब कोई भी एक छुट्टी पर होता था तो हम अपने सभी कक्षा कार्य एक दूसरे को दिखा देते थे। लेकिन जब मैंने कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर कक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया तो मेरे मित्र को शायद मुझसे थोड़ी ईर्ष्या होने लगी।
हालांकि उसने मुझे कभी दिखाया नहीं लेकिन मैं समझ गया था कि मेरा मित्र मुझसे असुरक्षित महसूस करने लगा है। खुलकर कभी इस विषय पर बात भी नहीं करता था लेकिन यह चीज मुझे अंदर ही अंदर और गुस्सा दिला रही थी। एक दिन जब मैंने उससे कक्षा कार्य के लिए कॉपी मांगी तो मेरे दोस्त ने मुझे मना कर दिया। इस समय मुझे अपने दोस्त पर इतना गुस्सा आया कि मैं बयां नहीं कर सकता।
जब मुझे गुस्सा आया तो मैंने अपना गुस्सा अपने मित्र को जाहिर नहीं किया बल्कि चुपचाप जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। हालांकि मैं अपने दोस्त के गुस्से पर विरोधी प्रतिक्रिया करना चाहता था लेकिन अपनी दोस्ती के के बारे में सोच कर मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया।
मैंने अपने मित्र से बात करना छोड़ दिया और अब अकेले रहना प्रारंभ कर दिया। शायद इस बात का मेरे मित्र पर कुछ अधिक प्रभाव पड़ गया और उसने आकर मुझसे माफी मांगी। मैंने अपने दोस्त को माफ कर उसे अपने गले से लगा लिया।
मैंने अपने गुस्से पर काबू कर अपने एक अच्छे मित्र को खोने से अपने आप को बचा लिया। इसलिए अब जब भी मुझे किसी पर बहुत गुस्सा आता है तो मैं उस परिस्थिति में केवल शांत रहता हूँ ताकि मुझे सही प्रतिक्रिया करने के लिए सोचने का समय मिल सके।
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