जब मै रास्ता भूल गया पर निबंध
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◆◆【 वह सुनसान रात थी जब मैं रास्ता भूल गया】
वह रात समय तकरीबन 9:00 बज रहा होगा मैं मार्केट से जल्दी-जल्दी लौट रहा था सर्दियों का दिन थे और सुबह शायद ठंड ज्यादा थी और दिनों की अपेक्षा बहुत ज्यादा लौटते-लौटते मौर्य समय मुझे समय 10:00 बज गए थे हवा साईं साईं चल रही थी घर के पास पहुंचने से पहले वाली पुलिया के दो मोड़ थे पहले मोड़ से मेरा घाघरा घर आता था तथा दूसरे मोड़ पर मैं आज तक नहीं गया सुना जाता था वहां पर श्मशान घाट का कब्रिस्तान पाए जाते हैं उस समय ठंड के प्रभाव से मेरा स्कूटर दूसरे स्कूल या पर चढ़ा दिया । पता नहीं क्यों मैं घर पहुंच गया और मैं यह भी नहीं जानता कैसे और आप मेरे लिए बहुत अजीब रात थी और मैं उसे हमेशा याद रखूंगा।
Thanks ;)☺☺☺
वह रात समय तकरीबन 9:00 बज रहा होगा मैं मार्केट से जल्दी-जल्दी लौट रहा था सर्दियों का दिन थे और सुबह शायद ठंड ज्यादा थी और दिनों की अपेक्षा बहुत ज्यादा लौटते-लौटते मौर्य समय मुझे समय 10:00 बज गए थे हवा साईं साईं चल रही थी घर के पास पहुंचने से पहले वाली पुलिया के दो मोड़ थे पहले मोड़ से मेरा घाघरा घर आता था तथा दूसरे मोड़ पर मैं आज तक नहीं गया सुना जाता था वहां पर श्मशान घाट का कब्रिस्तान पाए जाते हैं उस समय ठंड के प्रभाव से मेरा स्कूटर दूसरे स्कूल या पर चढ़ा दिया । पता नहीं क्यों मैं घर पहुंच गया और मैं यह भी नहीं जानता कैसे और आप मेरे लिए बहुत अजीब रात थी और मैं उसे हमेशा याद रखूंगा।
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मेरे पिताजी की मृत्यु के बाद मेरा अच्छाई पर से विश्वास उठ गया और मैं कुसंगति में पड़ गया I एक दिन जब मैं अपने दोस्तों के साथ एक घर में चोरी करने के लिए पहुंचा तो मैंने पाया कि वहां एक आदमी अपने पुत्र को सत्संगति और कुसंगति के बारे में बता रहा था I वह सब सुनकर मेरी आंख भर आई क्योंकि मेरे पिताजी भी मुझे इसी तरह समझाते थे I तब मैं वहां से बाहर आ गया और मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने पिता जी के दिखाए गए रास्ते को भूल गया हूँ और मुझे दोबारा उस रास्ते पर अच्छाई के रास्ते पर वापस आना होगा I तभी मैंने प्रण लिया कि अब मैं एक अच्छा इंसान बनूँगा I आज मैं एक डॉक्टर हूँ और लोग भी सेवा करता हूँ I
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