जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मैं नाहिं । प्रेम गली अति साँकरि तामें दो न समाहि । ।
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Hey mate answer of your question is given below by me.....
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Jab mere andar ahankar tha tab ishvar nahi the ....Ab mere andar ishwar hai...tab mere andar ahankar hi nahi hai....
Arthat mai hi nahi hu.....
I hope it can help u.....
Thanks...
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Explanation:
कबीरदास जी कहते हैं कि जहां घमंड होता है । अहंकार होता है वहां भगवान का वास नहीं होता है। जहां भगवान विराजते हैं वहां हम नहीं हो सकता। क्योंकि प्रेम की गली अत्यधिक तंग है ।उसमें अहंकार और ईश्वर का एक साथ नहीं रह सकते । अहंकार मनुष्य के लिए अभिशाप है ।अहंकारी व्यक्ति कभी भगवान को नहीं पा सकता। भगवान का अर्थ है प्रेम! और जहां सच्चा प्यार होगा वहां अहंकार नहीं हो सकता। प्रेम की गली में या तो भगवान रहेंगे या फिर अहंकार। अंहकारी व्यक्ति कभी भगवान के प्रेम को समझ नहीं सकता है।
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