Hindi, asked by Ajayargekar, 1 month ago

जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि है मैं नाँहि| सब अंधियारा मिटि गया , जब दीपक देख्या माँहि || प्रश्न - प्रस्तुत दोहे में ' मैं ' के मिटते ही कवि को किस की प्राप्ति हुई ?​

Answers

Answered by addhyankumardubey1
1

प्रस्तुत दोहे में कवि "मैं" से इंसान के अहंकार की बात करते हैं और उनका यह कहना है कि अहंकारी व्यकति को कभी भी ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है और जिसे ईश्वर की प्राप्ति हो जाए उसमे अहंकार नहीं हो सकता।

Similar questions