जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नहीं पहुंची का साथी के आधार पर 30 से 40 शब्दों में भाव स्पष्ट कीजिए
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kavi ka isse yeh taatparya h ki.....जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले | जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, तब अहंकार स्वत: ही नष्ट हो गया | ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ |
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भावार्थ: जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार (अहम) समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले | जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, तब अहंकार स्वत: ही नष्ट हो गया | ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ | प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता, प्रेम की संकरी (पतली) गली में केवल एक ही समा सकता है - अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है |
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