जब मैं था तब हरि नहीं द्वारा कवि क्या कहना चाहता है
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इस पंक्ति द्वारा कवि का कहना है कि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। अर्थात अहंकार और ईश्वर का साथ–साथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।
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