जब मैं विद्यालय जाऊंगा पर अनुच्छेद
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विद्यार्थियों के जीवन में स्कूल का पहला दिन जब आता है तो में यह दिन उनके लिए खुशी भी लाता है लेकिन थोड़ा गम भी लाता है क्योंकि एक और वह स्कूल में पहली बार आते हैं तो उन्हें थोड़ा डर का एहसास होता है वहीं दूसरी ओर स्कूल में उन्हें उन्हीं की तरह विद्यार्थी यानी उनके साथी मिल जाते हैं जिनके साथ रहकर वह खुशी का अनुभव करते हैं।
मेरे स्कूल का पहला दिन मेरे लिए एक यादगार दिन है सुबह सुबह मेरी मां ने मुझे जल्दी जगाया और मुझे नहलाया तब मेरी उम्र 4 साल थी मैं बच्चा था मुझे कुछ भी ज्यादा समझ नहीं थी मैं समझ गया था कि आज मुझे पहली बार स्कूल जाना है क्योंकि उसके एक दिन पहले ही मैं अपने पिता के साथ स्कूल गया हुआ था वहां पर अध्यापक ने मुझसे कुछ सवाल किये थे और मैंने उनका जवाब दिया और मेरा स्कूल में एडमिशन हो गया था।
अब मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था नहाने के बाद मेरी मां मुझे नाश्ते में दूध के साथ में टॉस लेकर आए मैंने बहुत ही मजे से टॉस खाये। उसके बाद मैंने स्कूल की ड्रेस पहनी मैंने अपने स्कूल की ड्रेस जब पहले दिन पहनी थी तव मुझे अच्छा लग रहा था ड्रेस के साथ मैंने काले रंग के स्कूल के जूते पहने। मैं अपनी ड्रेस और जूतों को पहन कर बहुत खुश था क्योंकि जब भी मेरे माता-पिता मुझे कुछ नई चीज दिलवाते थे तो मुझे खुशी होती थी मैं अपने पापा के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर स्कूल की ओर जाने लगा जहां स्कूल की ड्रेस पहनते हुए मुझे खुशी हो रही थी वहीं पहली बार स्कूल जाने में मुझे डर लग रहा था।
मैं पापा से पूछ रहा था कि पापा क्या आप मुझे छोड़ कर वापस आ जाओगे इसी के साथ मैं डरा हुआ था तभी स्कूल का वह दरवाजा आ गया जहां पर हम पिछले दिन भी आए थे दरवाजे के बाहर एक चौकीदार खड़ा हुआ था हम अंदर क्लास रूम में गए। मेरे पापा मुझे पहली क्लास की ओर ले गए जैसे ही वह मुझे पास में ले गए तो मैंने देखा कि वहां पर मेरी ही तरह बहुत सारे विद्यार्थी हैं मुझे डर नहीं लगा क्योंकि मैंने सोचा कि चलो मैं इनके साथ में खेल लूंगा।
मैने देखा कि उस क्लास में हमारी कॉलोनी के कुछ और लड़के भी हैं जो मेरे साथ खेलते हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई में क्लास में अंदर गया और उनके पास में बैठ गया। मैने टीचर को गुड मॉर्निंग बोला टीचर ने मेरा नाम पूछा मेरे बारे में पूछा और मुझे चॉकलेट भी दी मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे पहले डर लग रहा था लेकिन मेरे अपने ही दोस्त मेरी कक्षा में थे और साथ में मेरी एक अच्छी सी टीचर थी तो मुझे खुशी हुई। पहले दिन टीचर ने हम सब के बारे में जाना और फिर पढ़ाई शुरू की। लगभग 4 पीरियड हो जाने के बाद हमारा लंच हुआ मेरी मम्मी ने टिफिन में मेरे लिए कुछ खाने के लिए रखा था मैंने उस टिपिन को खोलकर देखा तो उसमें मेरे मनपसंद आलू के पराठे रखे हुए थे।
में अपने और दोस्तों की तरह ही एक जगह बैठकर पराठे खा रहा था मैं बहुत ही खुश हुआ उसके बाद कुछ ही समय बाद हम वापस हमारी क्लास में आ गए और हम हमारी जगह पर बैठ गए तब एक और टीचर हमारी क्लास में आई उन्होंने हमें पढ़ाया समझाया। पहले दिन हमें कुछ भी खास समझ में नहीं आया क्योंकि सभी बच्चे यही सोच कर डर रहे थे कि पता नहीं हमारे टीचर हमें क्या सिखाएंगे और क्या हम सीख पाएंगे? उसके बाद और भी टीचर आए हमें और भी विषय पढ़ाए उसके बाद हमारे स्कूल की छुट्टी हो गई ।
स्कूल की छुट्टी जैसे ही हुई सभी विद्यार्थी स्कूल से बाहर जाने लगे उनके साथ मैं भी जाने लगा तो मैंने देखा कि मेरी कक्षा के बाहर मेरे पापा खड़े हुए हैं मैं उनके पास गया उन्होंने मेरी उंगली पकड़ी और बाहर तक मुझे ले गए। मैंने देखा कि मेरे दोस्तों को भी उनके पापा लेने के लिए आए हुए हैं वहां पर लगभग हर बच्चे के मां बाप उसे लेने के लिए आए हुए थे फिर हम हमारी मोटरसाइकिल पर बैठकर घर की ओर चल पड़े।
घर पहुंच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि उस स्कूल में मेरी तरह और भी कई विद्यार्थी थे मैं उनसे बातें कर रहा था, पढ़ाई कर रहा था उनके साथ मुझे यह सब अच्छा लग रहा था लेकिन तभी एक आशा भी थी कि मैं अगली सुबह स्कूल जाऊंगा और अपने दोस्तों से मिलूंगा। मैंने अपना स्कूल का पहला दिन बहुत ही अच्छी तरह गुजारा में स्कूल जाते समय जो डर रहा था स्कूल जाने के बाद वह मेरा डर लगभग खत्म हो गया था।
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