Jab maine cycle chalana sikha In hindi in diary lekhan
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बचपन से ही एक मन में इच्छा थी की एकंं दिन साइकल अवश्य लूंगा और चलाना भी स्वयं सीखूंगा। बचपन में गिरने के डर से साइकल नहीं सीखा।
कक्षा ११ वीं में जिद करके एक साइकल लिया और अचानक एक दिन मन किया की साइकल आज ही सीखूंगा।
बस फिर क्या था मैं घर के पास के एक मैदान में चला गया और ३ घंटे के अंदर मैं सीख गया साइकल चलाना।
अभी मैंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। मेरे साइकल का साथ अब छूट गया है। मगर जब वक्त मिलता है तो मैं साइकल के पीछे भागता रहता हूं।
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