जब नाम के नीचे देखा खींचे काम में काट पर खड़े होकर देश से खड़ा था उसने एक सूची कोट पहन रखा था गांव मैंने उसे सहारा देकर पड़ गया अब तुम क्या करोगे मुझे पर कौन हो सकेगा
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Answer:गोरा आजकल अलस्सुबह ही घर से निकल जाता है, विनय यह जानता था। इसीलिए सोमवार को सबेरे वह भोर होने से पहले ही गोरा के घर जा पहुँचा और सीधे ऊपर की मंजिल में उसके सोने के कमरे में चला गया। वहाँ गोरा को न पाकर उसने नौकर से पूछा तो पता चला कि गोरा पूजा-घर में है। इससे मन-ही-मन उसे कुछ आश्चर्य हुआ। पूजा-घर की देहरी पर पहुँचकर विनय ने देखा, गोरा पूजा की मुद्रा में बैठा है। रेशमी धोती, कंधे पर रेशमी चादर, किंतु फिर भी उसकी विशाल देह का अधिकांश भाग खुला ही था। गोरा को यों पूजा करते देखकर विनय को और भी विस्मय हुआ।
जूते की आवाज़ सुकर गोरा ने पीछे फिरकर देखा। विनय को देखकर वह उठ खड़ा हुआ और घबराया-सा बोला, ''इस कमरे में न आना।''
विनय ने कहा, ''डरो मत, मैं नहीं आता। तुमसे मिलने आया था।''
बाहर आकर गोरा ने कपड़े बदले और फिर विनय को साथ लेकर तिमंज़िले वाले कमरे में चला गया।
विनय ने कहा, ''आज सोमवार है।''
गोरा ने कहा, ''ज़रूर सोमवार है, पंचांग में भूल हो सकती है, पर आज के बारे में तुमसे भूल नहीं हो सकती। कम-से-कम इतना तो निश्चित है कि आज मंगलवार नहीं है।''
विनय ने कहा, ''तुम आओगे तो नहीं, यह जानता हूँ- लेकिन आज तुम्हें एक बार बुलाए बिना मैं इस काम में प्रवृत्त नहीं हो सकता। इसीलिए आज सबेरे उठते ही सीधा तुम्हारे पास आया हूँ।''
कुछ कहे बिना गोरा निश्चल बैठा रहा। विनय ने फिर कहा, ''तो तुम्हारा यही निश्चय है कि मेरे विवाह में नहीं आओगे?''
गोरा ने कहा, ''नहीं विनय, मैं नहीं जा सकूँगा।''
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