जब सिनेमा ने बोलना सिका लेक को आधार बनाकर फिलम निमण पर आपके विचार लिखीए
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जब सिनेमा ने बोलना सीखा अध्याय के लेखक प्रदीप तिवारी जी हैं प्रदीप तिवारी जी ने इस अध्याय में सिनेमा जगत में आए परिवर्तन को उजागर करने की कोशिश की है आरंभ में मुंह फिल्में यानी आवाज रहित फिल्में बनती है थी उनमें किसी तरह की आवाज का प्रयोग नहीं होता था इसके कुछ समय के बाद सिनेमा जगत में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया और सवाक फिल्मों का आरंभ शुरू हुआ इस अध्याय के निबंध के रूप में लिखा गया है जैसे कि इस अध्याय के "नाम जब सिनेमा ने बोलना सीखा"
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