जब तक लाख का भवन बनकर तैयार हुआ तब तक पांडव कहाँ रहा करते थे?
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लाक्षागृहम् महाभारत के अट्ठारह पर्वों में से एक पर्व है। महाभारत में ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक बार पाण्डव अपनी माता कुन्ती के साथ वार्णावर्त नगर में महादेव का मेला देखने गये। दुर्योधन ने इसकी पूर्व सूचना प्राप्त करके अपने एक मन्त्री पुरोचन को वहाँ भेजकर एक लाक्षागृह तैयार कराया। पुरोचन पाण्डव को जलाने की प्रतीक्षा करने लगा। योजना के अनुसार पाण्डव लाक्षागृह में रहने लगे। घर को देखने से तथा विदुर के कुछ संकेतों से पाण्डवों को घर का रहस्य ज्ञात हो गया। विदुर के एक व्यक्ति ने उसमें गुप्त सुरंग बनायी, जिसके द्वारा आग लगने की स्थिति में निकल सकना सम्भव था। जिस दिन पुरोचन ने आग प्रज्जवलित करने की योजना की थी, उसी दिन पाण्डवों ने नगर के ब्राह्मणों को भोज के लिए आमन्त्रित किया।
ʜᴏᴘᴇ ɪᴛ ʜᴇʟᴘs ʏᴏᴜ......
Ғᴏʟʟᴏᴡ ᴍᴇ.......
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पांडव जंगल में रहते थे
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